चरकुला नृत्य को देख बज गई तालियां

यूनिक समय, वृंदावन। ब्रजभूमि के कण-कण में राधा-कृष्ण के स्वरूप का वास है। यहां राधा कृष्ण के नाम में पगी धुनों पर देश ही नहीं बल्कि विदेशी भक्त भी नाच उठते हैं।

ब्रज के प्रसिद्ध लोकनृत्य चरकुला की एक बार फिर से याद ताजा हो गई। वृंदावन कुंभ सांस्कृतिक कार्यक्रम के पांडाल में ब्रज के प्रसिद्ध कलाकार राजेश प्रसाद शर्मा ग्रुप ने जब चरकुला नृत्य की प्रस्तुति दी तो पूरा पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। चरकुला नृत्य की उत्पत्ति राधारानी की नानी के गांव मुखराई को माना जाता है।

यहां की धारणा है कि द्वापर युग में राधा जी की नानी मुखरा को उनकी पुत्री महारानी कीर्ति के यहां लाली के जन्म की सूचना मिली तो पूरा गांव मुखराई आनंद से झूमकर नृत्य करने लगा। राधारानी की नानी मुखरा ने सिर पर पहिया रखकर नृत्य किया था। इस परंपरा के नये रूप में 108 दीपक व कलश के साथ महिलाएं नृत्य करती हैं। होली गीत जुग-जुग जियौ होरी नाचन हारी की प्रस्तुति दी गई। राजेश प्रसाद शर्मा ने बताया कि सांस्कृतिक मंच से ब्रज संस्कृति से जुड़ी लीलाओं का मंचन किया जा रहा है।

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