नई दिल्ली। खराब हुई सब्जियों के साथ हम क्या करते हैं? फेंक देते हैं या ज्यादा ही जागरुकता रही तो गमलों में डाल देते हैं। ताकि खाद बन सके. लेकिन हैदराबाद मे एक ऐसी सब्जी मंडी है जो खराब सब्जियों से बिजली तैयार कर रही है. बोवनपल्ली मंडी में हर दिन लगभग 10 टन कचरा एकत्र होता है. पहले ये फेंक दिया जाता था, लेकिन अब इसी जैविक कचरे से रोजाना लगभग 500 यूनिट बिजली तैयार हो रही है।
क्या है इतिहास इस मंडी का
हैदराबाद के बाहरी इलाके सिकंदराबाद में एक विशाल सब्जी मंडी है बोवनपल्ली। लगभग 55 साल पुरानी इस मंडी में कोरोना वायरस बंदी के दौरान भी लोग आते-जाते रहे, जिसकी वजह यहां के दुकानदारों का जागरुक होना था। अब यही जागरुकता एक खोज भी कर चुकी. रोज यहां से टनों सब्जियां लोकल दुकानदार और ग्राहक खरीदकर ले जाते हैं. इसके बाद भी लगभग 10 टन सब्जियां सड़ी-गली होने के कारण फेंकनी पड़ जाती थीं।
इसी वेस्ट सब्जी से एक आविष्कार हुआ
इससे बिजली पैदा की जा रही है। रोजाना लगभग 500 यूनिट बिजली के अलावा इस जैविक वेस्ट से 30 किलोग्राम बायोगैस भी तैयार हो रही है। बता दें कि ये 500 यूनिट बिजली 100 स्ट्रीट लाइट्स जलाने के अलावा मंडी में मौजूद 170 स्टॉलों, एक एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग और पानी की आपूर्ति करने वाले नेटवर्क के लिए काफी है. इसके अलावा जो 30 किलोग्राम बायोगैस बन रही है, उसे मंडी की कैंटीन में दिया जा रहा है ताकि खाना पकाया जा सके।
किसने किया काम
पहले टनों सब्जियां कचरे के ढेर में फेंक दी जाती थीं लेकिन कुछ ही समय पहले ये विचार आया। हैदराबाद स्थित सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजीके वैज्ञानिकों ने इसपर काम शुरू किया और अब इसका पेटेंट भी लिया जा चुका है. फिलहाल प्प्ब्ज् की ही देखरेख में एक इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ये काम कर रहा है।
ऐसे तैयार होती है बिजली
सब्जियों से खाद तैयार करना आसान है लेकिन बिजली तैयार करने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। इस प्रोसेस के तहत सब्जियों के कचरे को पहले कन्वेयर बेल्ट पर रखा जाता है. ये कचरे को बारीक ढेर में बदल देता है, जो एक तरह का घोल बन जाता है। इसके बाद घोल को बड़े कंटेनरों या गड्ढों में डाल दिया जाता है ताकि ये जैव ईंधन बन जाए. बता दें कि इस ईंधन में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैस होती है. ये ईंधन जेनरेटर में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे बिजली बनती है।
अब तक कितनी बिजली बन चुकी
विज्ञान प्रसार पत्रिका में इस बारे में विस्तार से दिया गया है। तकनीक में अहम भूमिका निभा रहे वैज्ञानिक डॉ ए.जी. राव के मुताबिक अब तक लगभग 1400 टन सब्जियों को इस तरह से बिजली में बदला जा चुका है. इससे लगभग 32,000 यूनिट बिजली तैयार हुई है. साथ ही लगभग 700 किलोग्राम खाद तैयार हुई, जो खेती के काम में लाई जा रही है।
काम को विस्तार देने की योजना है
हैदराबाद की इस सब्जी मंडी के कचरे से बिजली और गैस बनाने को देखते हुए देश के कई हिस्सों में इससे प्रेरणा ली जा रही है। साल 2021-22 के दौरान हैदराबाद की ही पांच दूसरी मंडियों में ये योजना शुरू की जाएगी. इनमें से एक एर्रागड्डा सब्जी मंडी में ये प्रक्रिया शुरू भी की जा चुकी। अब वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं कि इसी जैव ऊर्जा को इस तरह से प्रोसेस किया जाए कि इससे वाहन भी चलाए जा सकें।
वैसे बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान हैदराबाद की इस सब्जी मंडी को लेकर वैज्ञानिकों के प्रयोग का जिक्र किया था। उन्होंने इसकी तुलना कचरे से कंचन बनाने तक कर डाली थी। इधर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रयोग से कृषि बाजार समिति के बिजली के बिल में हर महीने करीब 1.5 लाख रुपये की कमी आ चुकी है।
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