Ayodhya Land Dispute Result: ये है सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खास बातें, ये जमीन रामलला विराजमान को दी गई

नई दिल्‍ली. अयोध्‍या के राम जन्‍‍‍‍‍‍‍मभूमि और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में (Ayodhya Land Dispute case) में आज (9 नवंबर) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने बड़ा फैसला सुनाया.  सीजेआई रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अध्‍यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्‍मति से यह फैसला पढ़ा. सीजेआई रंजन गोगोई ने यह फैसला पढ़ा.

इस फैसले से जुड़ी सभी खास बातें यहां जानें…

– विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी गई- CJI

– रामलला को जमीन के लिए ट्रस्‍ट बनाया जाए- CJI

संविधान की नजर में सभी आस्‍थाएं समान हैं- CJI

– कोर्ट आस्‍था नहीं सबूतों पर फैसला देती है- CJI

– अंदरूनी हिस्‍सा विवादित है. हिंदू पक्ष ने बाहरी हिस्‍से पर दावा साबित किया- CJI

– सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन दी जाए. यह जमीन या तो अधिग्रहित जमीन हो या अयोध्‍या में कहीं भी हो- CJI

– प्राचीन यात्रियों ने जन्‍मभूमि का जिक्र किया है- सीजेआई

– 1949 तक मुस्लिम मस्जिद में नमाज अदा करते थे- CJI रंजन गोगोई

– समानता संविधान की मूल आत्‍मा है – CJI

– सीजेआई ने कहा कि सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड का दावा विचार योग्‍य.

– हिंदू पक्ष ने कई ऐतिहासिक सबूत दिए- सीजेआई

– सीजेआई रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि सभी धर्मों को समान नजर से देखना सरकार का काम है. अदालत आस्था से ऊपर एक धर्म निरपेक्ष संस्था हैं. 1949 में आधी रात में प्रतिमा रखी गई.

– सीजेआई ने कहा कि इतिहास जरूरी है लेकिन इन सबमें कानून सबसे ऊपर है, सभी जजों ने आम सहमति से फैसला लिया है.

– सीजेआई ने कहा कि आस्‍था पर जमीन के मालिकाना हक का फैसला नहीं.

– सीजेआई ने कहा कि मुस्लिम पक्ष का दावा कि आधी रात को प्रतिमा रखी गई.

– सीजेआई ने कहा कि राम जन्मभूमि एक न्यायिक व्यक्ति नहीं हैं.

– सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान को कानूनी मान्यता दी. लेकिन राम जन्मभूमि को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना.

– सीजेआई रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि खुदाई में मिला ढांचा गैर इस्लामिक था.

– सीजेआई ने कहा कि निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे खारिज किए जाते हैं.

 

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