नई दिल्ली। करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को लेकर पाकिस्तान ने ऐसा फैसला लिया है, जिसका विरोध भारत ने दर्ज कराया है। दरअसल पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन का अधिकार पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से छीनकर पाकिस्तान में हिंदू एवं सिख समुदायों के मंदिरों एवं संपत्ति का प्रबंधन करने वाले बोर्ड (ईटीपीबी) को सौंप दिया है। पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब को ‘प्रोजेक्ट बिजनेस प्लान’ के रूप में भी घोषित किया है।
भारत ने पाकिस्तान के इस कदम का विरोध जताते हुए विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में इस फैसले को वापस लेने की मांग की है. रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है, ‘करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का प्रबंधन पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के हाथ से लेना पाकिस्तान का निंदनीय कदम है. इससे पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के उसके दावे की सच्चाई सामने आती है. हम इस एकतरफा फैसले को वापस लेने की मांग करते हैं।’
वहीं पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी नौ नवंबर को ऐतिहासिक करतारपुर गलियारा खोले जाने की पहली वर्षगांठ मनाएगा. पाकिस्तान में हिंदू एवं सिख समुदायों के मंदिरों एवं संपत्ति का प्रबंधन करने वाले बोर्ड (ईटीपीबी) ने हालांकि पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के इस कदम से स्वयं को अलग कर लिया है।
बोर्ड ने कहा कि करतारपुर गलियारे को खोले जाने की पहली वर्षगांठ मनाने संबंधी कोई दिशानिर्देश उसे अब तक नहीं मिला है। बता दें कि चार किलोमीटर लंबा करतारपुर गलियारा पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक और पाक स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब को आपस में जोड़ता है। इस गलियारे के माध्यम से भारतीय श्रद्धालु वीजा के बगैर करतारपुर साहिब तक की यात्रा कर सकते हैं. कोरोना वायरस महामारी के कारण यह 16 मार्च से बंद है।
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