हरियाणा में कैबिनेट बनाने में फंसी बीजेपी, सरकार गठन पर खींचतान

महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावी नतीजे आए हुए 13 दिन हो गए हैं, लेकिन शिवसेना के अड़ियल रुख अख्तियार कर लेने से बीजेपी के लिए सरकार गठन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. ऐसे ही हरियाणा में सीएम और डिप्टी सीएम के शपथ ग्रहण के एक सप्ताह के बाद भी मंत्री मंडल का गठन नहीं हो सका है.

महाराष्ट्र की सियासत में मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल जारी है, जिसके चलते अभी तक सरकार गठन नहीं हो सका है. वहीं, हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को शपथ लिए हुए एक सप्ताह से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन मंत्री मंडल का गठन नहीं हो सका है. बीजेपी की सहयोगी जेजेपी ज्यादा से ज्यादा मंत्री पद की कोशिश में जुटी है तो निर्दलीय भी मंत्री बनने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं. इसी में मनोहर टीम के गठन का मामला उलझा हुआ है.

महाराष्ट्र में सरकार गठन पर खींचतान

महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावी नतीजे आए हुए 13 दिन हो गए हैं, लेकिन शिवसेना के अड़ियल रुख अख्तियार कर लेने से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गई है. शिवसेना का सीएम पद दावेदारी के चलते महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी सरकार बनाने की दिशा में अभी तक कदम नहीं बढ़ा सकी है. जबकि, शिवसेना बार-बार बहुमत का दावा कर रही है. शिवसेना एनसीपी से समर्थन की आस लगाए हुए हैं.

महाराष्ट्र में इन तमाम बदलते राजनीतिक हालातों के बीच आज सरकार गठन की लड़ाई अब दिल्ली पहुंच गई है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जहां बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की तो शिवसेना नेता संजय राउत ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है. जबकि, महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म हो रहा है. लेकिन सीएम पद पर फंसे पेच के चलते मामला अभी तक अटका हुआ है.

हरियाणा में मनोहर कैबिनेट पर फंसा पेच

महाराष्ट्र में सरकार गठन का मामला अटका हुआ है तो हरियाणा में मंत्रिमंडल का फॉर्मूला बीजेपी तय नहीं कर रही है. इसी का नतीजा है कि सीएम और डिप्टी सीएम के शपथ ग्रहण हुए एक सप्ताह गुजर गया है, लेकिन कैबिनेट गठन अभी तक नहीं हो सका.

हरियाणा में 90 सदस्यीय विधानसभा में नियमों के मुताबिक राज्य की कैबिनेट में मुख्यमंत्री के अलावा 13 मंत्री शामिल किए जा सकते हैं. बीजेपी और जेजेपी ने मिलकर सरकार बनाई है. हालांकि जेजेपी के समर्थन से पहले निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को समर्थन का ऐलान कर दिया था. इस तरह से बीजेपी के सामने जेजेपी के साथ निर्दलीय विधायकों को कैबिनेट में जगह देने को लेकर असमंजस बना हुआ है.

नए मंत्रियों के चयन के दौरान बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सामाजिक समीकरण साधने के साथ-साथ सहयोगी जेजेपी और निर्दलीय विधायकों को हिस्सेदारी देने की है. हरियाणा के डिप्टी सीएम बने दुष्यंत चौटाला की जेजेपी सबसे बड़ी सहयोगी है. जेजेपी उप मुख्यमंत्री के अलावा दो कैबिनेट और दो राज्य मंत्री के पद मांग रही है. जबकि, बीजेपी डिप्टी सीएम के बाद एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री जेजेपी को देना चाहती है.

हरियाणा में इस बार 7 निर्दलीय विधायक जीतकर आए हैं, जिन्होंने बीजेपी को समर्थन का सबसे पहले ऐलान किया है. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व जेजेपी के साथ-साथ निर्दलीय विधायकों को भी कैबिनेट में जगह देने को लेकर मंथन कर रहा है. बीजेपी निर्दलीय विधायकों को किसी भी सूरत में अपने से दूर नहीं करना चाहेगी, क्योंकि इन्हीं की बदौलत बीजेपी जेजेपी के साथ संतुलन बनाकर रहेगी. इसी कशमकश में मनोहर लाल खट्टर की कैबिनेट का मामला उलझा हुआ है.

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