आगरा जमीन कांड में बिल्डर बचता रहा 30 दिन बाद भी मुख्य आरोपी को पुलिस पकड़ने में नाकाम

ताजनगरी आगरा के बोदला में बैनारा फैक्टरी के पास करोड़ों की जमीन पर कब्जे के लिए फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए। एक ही परिवार के पांच निर्दोष लोग जेल भेज दिए गए। डीजीपी तक मामला पहुंचा। मामले में डकैती व कब्जे का मुकदमा दर्ज किया गया। तत्कालीन एसओ जगदीशपुरा जितेंद्र कुमार सहित तीन आरोपियों को जेल भेजा गया। लेकिन, 30 दिन में भी मुख्य आरोपी बिल्डर कमल चौधरी को पकड़ने में पुलिस नाकाम रही।

बोदला मार्ग पर 10 हजार वर्गगज जमीन है। इस जमीन पर वर्ष 1974 में दो लोग मिल चलाते थे। कुछ समय बाद मिल बंद हो गई। एक पक्ष की ओर से केयरटेकर के रूप में रवि कुशवाह का परिवार रह रहा था। जमीन पर कब्जे के लिए पुलिस से सांठगांठ की गई। 26 अगस्त 2023 को रवि कुशवाह, उसके भाई शंकरिया और जटपुरा निवासी ओमप्रकाश को 9 किलोग्राम गांजा और बिना नंबर के वाहन के साथ पकड़ा गया। एक आरोपी को फरार दिखाया गया।

दूसरा मामला 9 अक्तूबर 2023 को लिखा गया। इस बार आबकारी निरीक्षक ने पुलिस के साथ छापा मारा। पूनम, पुष्पा और फुरकान को गिरफ्तार किया। उनसे हरियाणा की शराब की पेटियां बरामद की गईं। मामले में आबकारी निरीक्षक ने मुकदमा दर्ज कराया। महिलाओं सहित तीन को जेल भेजा गया। डीजीपी तक पहुंचा मामला तो हुई कार्रवाई

जेल से बाहर आने के बाद पीड़ित परिवार ने तत्कालीन डीजीपी से गुहार लगाई थी। इस पर गोपनीय जांच कराई गई थी। मामला चर्चा में आने के बाद तत्कालीन एसओ जितेंद्र कुमार, मुख्य आरक्षी उपेंद्र मिश्रा, शिवराज सिंह, आरक्षी रविकांत को निलंबित किया गया। इसके साथ ही सात जनवरी को तत्कालीन एसओ जितेंद्र कुमार, बिल्डर कमल चौधरी, बेटे धीरू चौधरी और 15 अज्ञात के खिलाफ डकैती, जमीन पर कब्जे सहित अन्य धारा में मुकदमा दर्ज किया गया।

पुलिस ने एसओ, अमित अग्रवाल और पुरुषोत्तम पहलवान को जेल भेजा। बिल्डर की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी गई। आगरा से बाहर भी पुलिस टीम के तलाशने के दावे किए गए। लेकिन बिल्डर हाथ नहीं आ सका। उन्होंने पहले कोर्ट में समर्पण के लिए प्रार्थनापत्र दिया। प्रार्थनापत्र निरस्त हो गया।

एनडीपीएस का मुकदमा एसआई विकास कुमार ने लिखाया था। उनका स्थानांतरण सहारनपुर हो गया था। यदि मुकदमा फर्जी था तो एसआई पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। इस केस में विवेचक ने चार्जशीट भी लगा दी थी। ऐसे में विवेचक पर भी कार्रवाई होनी चाहिए थी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। इसी तरह आबकारी अधिनियम के मुकदमे में आबकारी निरीक्षक ने मुकदमा दर्ज कराया। उन्हें निलंबित किया गया। लेकिन, सूचना पर पहुंचने वाले थाने के दरोगा अनुज कुमार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वह बोदला चौकी पर तैनात थे।

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