नई दिल्ली। सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को पत्र लिखकर चार मई से शुरू होने वाली सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं को रद करने की मांग की है। राहुल गांधी ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि सरकार को बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन पर पुनर्विचार करना चाहिए।
आदित्य ठाकरे और अरविंद सावंत ने भी जताई चिंता
ट्विटर और इंटरनेट मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्मों पर बोर्ड परीक्षाओं को रद करने की मांग पिछले कुछ दिनों से लगातार ट्रेंड हो रही है। महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे और शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने भी कोरोना संक्रमण के बीच बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन को लेकर चिंता जताई।
समान नीति बनाई जाए
इन नेताओं ने कहा है कि मौजूदा समय में राज्यों में सीबीएसई, आइसीएसई और राज्य बोर्ड सहित कई बोर्ड हैं। सभी अपने-अपने स्तर पर परीक्षाएं कराने की योजना बना रहे हैं। केंद्र सरकार को छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए इसको लेकर समान नीति बनानी चाहिए। सावंत ने इसको लेकर निशंक को चिट्ठी भी लिखी है।
सीबीएसई ने लिया है यह फैसला
बोर्ड परीक्षाएं रद करने की मांग तब उठ रही हैं जब सीबीएसई ने चार मई से देश भर में 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं कराने का एलान कर रखा है। खास बात यह है कि पिछले साल भी कोरोना संक्रमण को लेकर देखते हुए पहले विश्वविद्यालय की परीक्षाएं, बाद में नीट और जेईई मेंस को भी रद करने की मांग उठी थी।
पहले भी राहुल कर चुके हैं ऐसी मांग
राहुल गांधी ने उस समय भी इन मांगों का समर्थन किया था। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षाओं को जरूरी बताते हुए इन्हें सुरक्षित तरीके से कराने के निर्देश दिए थे। इस बीच, बोर्ड परीक्षा को रद करने के लिए ट्विटर और इंटरनेट मीडिया पर तेज हुई मांगों को देखते हुए राहुल गांधी ने ट्वीट कर उसका समर्थन किया और सरकार से सभी पक्षों को सुनने के बाद ही बोर्ड परीक्षा को लेकर कोई फैसला करने को कहा। साथ ही सवालिया लहजे में कहा कि सरकार को देश के भविष्य के साथ खेलना कितना मायने रखता है?
बीमार होने पर कौन होगा जिम्मेदार
इस बीच प्रियंका गांधी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा कि यदि परीक्षा होती है, तो छात्रों के संक्रमित होने की स्थिति में सरकार और सीबीएसई को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। तो क्या सरकार कोरोना से संक्रमित छात्रों या प्रभावित लोगों की कानूनी जिम्मेदारी लेने को तैयार है।
प्रियंका गांधी ने हैरानी जताते हुए कहा कि एक तरफ सरकार कोरोना से बचाव को लेकर लोगों को एक जगह बड़ी संख्या में न जुटने की गाइडलाइन जारी कर रही है, तो फिर किस तर्क के आधार पर परीक्षाएं कराने जा रही है। सीबीएसई ने हाल ही में साफ किया है कि परीक्षाएं तय समय पर ही होंगी। परीक्षाओं में तय सुरक्षा मानकों का पूरा पालन होगा। इस बार परीक्षा केंद्रों की संख्या में भी 40 से 50 फीसद की वृद्धि भी की गई है।
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