जूही चावला के पतिदेव की सीमेंट फैक्ट्री की चिमनी बनी मौत का कुंआ, ये रही वजह

पोरबंदर। जूही चावला के पतिदेव की फैक्ट्री में एक कांड हुआ है। जय मेहता की पोरबंदर के राणावव कस्बे में सीमेंट की फैक्ट्री है। गुरुवार दोपहर इसकी सफाई-पेंटिंग का काम चल रहा था। लेकिन सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने पर 85 मीटर इस चिमनी में 10 मजदूर जा गिरे। इनमें से 3 को नहीं बचाया जा सका। कुएं से गहरी चिमनी से लाशों को निकालने का रेस्क्यू भी कितनी मुश्किल था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मदद के लिए (NDRF) की टीम को बुलाना पड़ा। इस टीम को भी रातभर समय लगा मजदूरों की लाशें निकालने में। जानिए पूरी कहानी…

जय मेहता की इस सौराष्ट्र सीमेंट में लगी चिमनी को हर दो साल में साफ और पेंटिंग करना पड़ता है। इस समय यह फैक्ट्री बंद है। इसलिए चिमनी में काफी धूल गंदगी जमा हो गई थी। इसी की साफ-सफाई और पेंटिंग के लिए मुंबई स्थित सेफ्टी राइज कंपनी को ठेका दिया गया था।

हादसे की वजह सेफ्टी राइज कंपनी की लापरवाही बताई जाती है। कंपनी के कर्मचारी चिमनी की साफ-सफाई और पेंटिंग के बाद काम में इस्तेमाल हुईं कुछ लोहे की छड़ें चिमनी में छोड़कर चले गए थे। इन्हें निकालने के लिए ही ये 10 मजदूर चिमनी में उतारे गए थे।

गुरुवार दोपहर करीब 3.15 बजे चिमनी से लोहे की रॉड निकालने कुछ मजदूरों को उतारा गया था। अचानक वे हादसा हुआ और वे अंदर फंस गए। इसके बाद स्थानीय प्रशासन ने उन्हें बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। तब जाकर NDRF की टीम को बुलाना पड़ा। हालांकि उसमें से तीन मजदूरों को नहीं बचाया जा सका है।

चिमनी में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में NDRF की टीम को भी पसीना छूट गया। फिर भी 3 मजदूरों को जिंदा नहीं निकाला जा सका। चिमनी में गिरे कुछ मजदूरों के नाम सामने आए हैं। ये हैं-दरसिंह माखन रजाक, श्रीनिवास मातादीन रजाक, सुनील याजा दयाल, वीरसिंह श्रीनिवास जादव, वजेंद्र मुनीराम जादव और कैप्टन रमेक रजक।

चिमनी में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू का ऑपरेशन इतना जटिल था कि मदद के लिए तटरक्षक(Coast Guard) के एक हेलिकॉप्टर को भी बुलाना पड़ा। NDRF, स्थानीय रेस्क्यू टीम और तटरक्षक बल की टीम ने संयुक्त तौर पर रेस्क्यू चलाया। मामले की जानकारी लगने पर मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने प्रशासन से बात की और मजदूरों को तत्काल सहायता देने को कहा।

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