
नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में नर्सों की हड़ताल पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि एम्स प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि वे दिल्ली हाईकोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन करें और एम्स के नर्सिंग फंक्शन में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए और इस तरह की किसी भी गतिविधि को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। भूषण ने कहा कि किसी भी तरह का असहयोग आपदा प्रबंधन कानून के तहत अपराध की तरह लिया जाएगा और भारतीय दंड संहिता के तहत जिम्मेवार कर्मचारियों और प्रशासनिक इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि एम्स दिल्ली की नर्सों ने सोमवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया। नर्स यूनियन की छठें सेंट्रल पे कमीशन को लेकर कुछ मांगे हैं। जिनको लेकर वे हड़ताल पर हैं। नर्सों के हड़ताल का ऐलान करने के बाद एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने अपील करते हुए कहा कि नर्स कर्मचारी हड़ताल पर न जाएं और काम पर लौटकर महामारी से मुकाबला करें।
हालांकि एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया की हड़ताल न करने की अपील बेअसर रही है। शाम को नर्स यूनियन की हड़ताल के ऐलान के बाद सभी नर्सें अस्पातल परिसर में एकत्रित होकर नारेबाजी करती रहीं। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें मानी नहीं जाएंगी तब तक हड़ताल जारी रहेगी। नर्स यूनियन के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से अस्पताल में भर्ती किए गए मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है।
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि नर्स यूनियन की 23 प्रमुख मांगें हैं, जो सरकार और एम्स प्रशासन ने मान ली हैं. इसमें उनकी एक प्रमुख मांग छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करना है. डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि नर्स यूनियन को न सिर्फ एम्स प्रशासन बल्कि सरकार भी समझा चुकी है कि उनकी सैलरी बढ़ाने की मांग पर विचार किया जाएगा.
Leave a Reply