
यूनिक समय, नई दिल्ली। चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध अब एक नए और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन से आयात होने वाले सामानों पर टैरिफ को 125% से बढ़ाकर 145% किए जाने के एक दिन बाद, चीन ने भी कड़ा रुख अपनाया है। शुक्रवार को चीन ने अमेरिका से आने वाले सामानों पर आयात शुल्क को 84% से बढ़ाकर 125% तक कर दिया।
इस निर्णय के बाद दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव और अधिक गहरा हो गया है। चीनी वित्त मंत्रालय ने इस कदम को “एकतरफा दबाव और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन” करार दिया है। मंत्रालय ने स्पष्ट कहा कि अगर अमेरिका इसी तरह टैरिफ बढ़ाता रहा, तो चीन भी अपनी तरफ से कड़ा कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
संयुक्त राष्ट्र की व्यापार एजेंसी के एक अधिकारी ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि इस तरह की जवाबी टैरिफ नीति का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर काफी गंभीर हो सकता है, खासकर विकासशील देशों पर। इंटरनेशनल ट्रेड सेंटर का अनुमान है कि इस टकराव से वैश्विक व्यापार में 3-7% की गिरावट और वैश्विक जीडीपी में लगभग 0.7% की कमी आ सकती है।
इसके अलावा, चीन ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अमेरिका के खिलाफ शिकायत भी दर्ज की है। दोनों देशों की यह तनातनी शेयर बाजारों पर भी भारी पड़ी है। वैश्विक शेयर बाजारों से महज कुछ दिनों में करीब 10 ट्रिलियन डॉलर की पूंजी साफ हो चुकी है।
इस आर्थिक टकराव का आगे क्या असर होगा, यह कहना मुश्किल है, लेकिन संकेत यही हैं कि वैश्विक बाजारों में अस्थिरता और बढ़ सकती है।
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