यूनिक समय, मथुरा। जिन्दगी की आस छोड़ चुकी कमलेश पत्नी पोहाप सिंह को के.डी. हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के विशेषज्ञ, कैंसर एण्ड ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. मयंक माथुर तथा जाने-माने गैस्ट्रो सर्जन डॉ. मुकुंद मूंदड़ा की जोड़ी ने लगभग सात घंटे चली राइट एक्सटेंडेड हेपेटेक्टोमी सर्जरी के जरिए नया जीवन दिया। मरीज में पित्ताशय का कैंसर डायफ्राम (फेफड़ों के नीचे की मसल्स) तक फैल गया था। यही नहीं लीवर का 70 प्रतिशत हिस्सा भी संक्रमित था। सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति में लगातार सुधार देखा जा रहा है।
जानकारी के अनुसार कमलेश (56) पत्नी पोहाप सिंह निवासी सुरवाई मथुरा, लम्बे समय से पेट में दर्द से परेशान थी। उसका पथरी का उपचार किसी हॉस्पिटल में चल रहा था। लगभग एक माह तक चले उपचार से जब कोई फायदा नहीं हुआ तब उसे 17 जनवरी को के.डी. हॉस्पिटल लाया गया। गैस्ट्रो सर्जन डॉ. मुकुंद मूंदड़ा ने मरीज का अल्ट्रासाउण्ड कराया जिसमें पित्त की थैली में पथरी के साथ ही गांठ पाई गई। उसके बाद सीटी स्कैन कराने पर पता चला कि गांठ लीवर में भी फैली हुई है। इतना ही नहीं मरीज को काला पीलिया भी था। मरीज की गम्भीर स्थिति को देखते हुए डॉ. मूंदड़ा ने कैंसर एण्ड ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. मयंक माथुर से परामर्श लिया, उन्होंने सर्जरी की सलाह दी।
परिजनों की स्वीकृति के बाद 22 जनवरी को कैंसर एण्ड ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. मयंक माथुर तथा गैस्ट्रो सर्जन डॉ. मुकुंद मूंदड़ा की टीम द्वारा मरीज की सर्जरी की गई। सर्जरी लगभग सात घंटे चली। महिला की सर्जरी में पाया गया कि लीवर का आधे से ज्यादा हिस्सा कैंसर से ग्रस्त है। ऐसी स्थिति में प्रायः चिकित्सक मरीज की सर्जरी करने की बजाय उसे यथास्थिति छोड़ देते हैं। ऐसी नाजुक स्थिति में भी डॉ. माथुर और डॉ. मूंदड़ा ने रिस्क लिया और सर्जरी कर महिला को नया जीवन दिया।
इस सर्जरी में डॉ. माथुर, डॉ. मूंदड़ा, डॉ. अपूर्वा, डॉ. सिद्धार्थ, डॉ. निश्चय, डॉ. प्रदीप, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. जगत, डॉ. शिवांगी अग्रवाल तथा ओटी टेक्निशियन रवि, बालकिशन और शिवम ने सहयोग किया। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने सफल सर्जरी के लिए चिकित्सकों को बधाई दी।
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