प्रियंका गांधी ने जहां—जहां किया प्रचार, वहां हुआ कांग्रेस का बंटाधार !

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया. कहा गया कि इस चुनाव में प्रियंका कांग्रेस के लिए ट्रंप कार्ड साबित होंगी. उन्होंने भी ज़िम्मेदारी मिलते ही कामकाज शुरू कर दिया. लेकिन चुनाव के नतीजे बताते हैं कि प्रियंका के पार्टी में आने का फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ।

इसे इत्तेफाक ही कहा जाएगा कि जिन इलाकों में प्रियंका ने चुनावी प्रचार किया वहां कांग्रेस का बंटाधार हो गया. ये हम नहीं लोकसभा चुनाव के नतीजे कह रहे हैं. उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब और फिर दिल्ली हर जगह यही हाल रहा. प्रियंका के चुनाव प्रचार के बावजूद कांग्रेस के उम्मीदवार एक के बाद एक हार गए।

नॉनस्टॉप हार
प्रियंका ने उत्तर प्रदेश के बाहर 12 सीटों पर अपनी पार्टी के लिए प्रचार किया, जिसमें से कांग्रेस को 11 जगहों पर हार का सामना करना पड़ा. इस दौरान उन्होंने असम के सिलचर, हरियाणा में अंबाला, हिसार और रोहतक में प्रचार किया. वो दिल्ली, मध्यप्रदेश में रतलाम, इंदौर और हिमाचल प्रदेश के मंडी में भी प्रचार के लिए पहुंचीं, लेकिन पार्टी को हर जगह निराशा हाथ लगी.।

पूर्वी यूपी में पत्ता साफ
प्रियंका गांधी पूर्वी यूपी की प्रभारी थीं. लेकिन यहां कांग्रेस का सफाया हो गया. पार्टी को यहां गांधी परिवार के गढ़ कहे जाने वाले अमेठी में भी हार का सामना करना पड़ा. इसके अलावा उन्होंने कुशी नगर, बाराबंकी उन्नाव, कानपुर, फतेहपुर, झांसी, प्रतापगढ़ जौनपुर, सुल्तानपुर और बस्ती के इलाकों में ज़ोर-शोर से प्रचार किया लेकिन नतीजा रहा जीरो।

गठबंधन में जगह न मिलने के बाद कांग्रेस ने यूपी में अकेले चुनाव लड़ा. उसने 80 में से 67 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे. प्रियंका के चेहरे को सामने कर राहुल गांधी यूपी में अपनी खोई जमीन तलाशने में जुटे थे, लेकिन ऐसा कुछ भी होता नहीं दिखा।

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