भारतीय क्रिकेट में मतभेद, कप्तानों से हो चुका है टकराव

नई दिल्ली। इस वक्त टीम इंडिया सबसे ज्यादा चर्चा में इस बात को लेकर है कि टीम के कप्तान विराट कोहली और ओपनर बल्लेबाज रोहित शर्मा के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। इन दोनों के बीच मतभेद हैं, लेकिन बीसीसीआई ने इस पर साफ कहा है कि ऐसा कुछ भी नहीं है और सबकुछ ठीक है। वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसी बातें सामने आईं जिससे इस बात को बल मिलता है, जैसे कि रोहित ने कप्तान विराट कोहली की पत्नी अनुष्का शर्मा को अनफॉलो कर दिया। हालांकि, इस मामले पर खुद विराट और रोहित शर्मा ने अब तक कुछ भी नहीं कहा है और ऐसा संभव भी नहीं लगता। भारतीय क्रिकेट इतिहास की बात करें तो ये पहली बार नहीं है जब खिलाड़ियों के आपसी मतभेद की बातें सामने आई हैं। इससे पहले भी समय-समय पर खिलाड़ियों को बीच ऐसी बातें हो चुकी हैं जो सुर्खियां बनी थीं।

लाला अमरनाथ और महाराजा ऑफ विजयनगरम (1936)

वर्ष 1936 में भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड दौरे पर गई थी और पहली बार दो खिलाड़ियों के बीच टकराव की बात सामने आई थी। महाराजा ऑफ विजयनगरम जिन्हें विजी के नाम से जाना जाता है वो भारतीय क्रिकेट टीम के दूसरे टेस्ट कप्तान थे। कहा जाता है कि विजी के पास क्रिकेट की ज्यादा जानकारी नहीं थी फिर भी वो लॉबिंग के जरिए टीम के कप्तान बन गए थे। और उनकी वजह से 1936 का इंग्लैंड दौरा एक मजाक बन गया था। उस वक्त टीम में मौजूद लाला अमरनाथ और कई दूसरे सीनियर क्रिकेटर अपने कप्तान को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे। मैच के दौरान विजी ने अमरनाथ को बल्लेबाजी के लिए तैयार होने को कहा पर उन्हें बल्लेबाजी के लिए नहीं भेजा। अमरनाथ को पहले ही उंगली में चोट थी और वो बल्लेबाजी करने में समर्थ नहीं थे पर जब वो मैदान पर गए तो सस्ते में आउट हो गए। आउट होने के बाद वो ड्रेसिंग रूम में आए और कहा कि उन्हें पता है क्या चल रहा है। विजी ने इसे अपमान के तौर पर लिया और फिर अमरनाथ को पहले टेस्ट से पहले ही भारत भेज दिया गया। इसके बाद इन दोनों की कभी नहीं बनी।

वीरेंद्र सहवाग एवं महेंद्र सिंह धौनी

धौनी और सहवाग के बीच वर्ष 2012 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ट्राई सीरीज के दौरान खटपट हुई थी। इस सीरीज के लिए धौनी ने फैसला किया था कि टॉप क्रम से तीन बल्लेबाज सहवाग, सचिन और गंभीर को आराम दिया जाएगा क्योंकि धौनी को लगता था कि वो फील्डिंग में ज्यादा तेज नहीं हैं। वहीं इस सीरीज के अगले ही मैच में सहवाग ने एक कमाल का कैच पकड़ा और कहा कि क्या तुमने मेरा कैच देखा। हम पिछले दस वर्ष में एक ही हैं। कुछ भी नहीं बदला है। उस वक्त धौनी ने इस मसले पर कुछ भी नहीं कहा पर सहवाग को बाद में टीम से बाहर कर दिया गया।

राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर 

तेंदुलकर ने द्रविड़ के साथ हुए इस घटना का जिक्र अपनी आत्मकथा में भी किया है। पाकिस्तान दौरे पर मुल्तान टेस्ट मैच में गांगुली के चोटिल होने पर राहुल द्रविड़ ने उस मैच में कप्तानी की थी। इस मैच में सचिन 194 रन पर खेल रहे थे और उसी वक्त द्रविड़ ने पारी समाप्ति की घोषणा कर दी। सचिन ने अपने आत्मकथा में इसका जिक्र किया कि राहुल ने कहा कि टीम के हित में उन्होंने ये फैसला किया था। पर मैं उनकी बात से सहमत नहीं था। वहीं द्रविड़ ने इस पर कभी कुछ नहीं कहा।

सुनील गावस्कर और कपिलदेव 

सुनील गावस्कर भारतीय क्रिकेट के स्टार खिलाड़ी रहे हैं और उन्होंने क्रिकेट में अपना कदम वर्ष 1971 में रखा था। इसके ठीक सात साल के बाद भारतीय टीम में कपिल देव की एंट्री हुई। इन दोनों के बीच मनमुटाव तब शुरू हुआ जब 1983 में कपिल देव को टीम इंडिया का कप्तान चुना गया। इसके अलावा इस वर्ष मद्रास में एक टेस्ट के दौरान कपिल ने तब पारी घोषित कर दी जब गावस्कर 236 रन पर खेल रहे थे। इसके बाद इनका संबंध और भी खराब हो गया। आखिरकार बीसीसीआई अध्यक्ष एनकेपी साल्वे को दोनों के बीच होने वाली दरार तक पहुंचने के लिए एक बैठक बुलानी पड़ी।

सचिन एवं अजहरुद्दीन

इन दोनों खिलाड़ियों के बीच तब तनाव उत्पन्न हुआ जब 1996 विश्व कप में इंग्लैंड में खराब प्रदर्शन के बाद सचिन को टीम इंडिया का कप्तान बना दिया गया। इसके बाद फिर से 1998 में अजहर टीम के कप्तान बने, लेकिन 1999 विश्व कप में से बाहर होने के बाद सचिन को फिर से कप्तान बना दिया गया। इसके बाद सचिन ने अजहर को टीम में शामिल नहीं होने दिया। यहां तक कि सचिन ने अजहर को ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए भी टीम में जगह नहीं दी। इसके बाद 2000 के शुरुआत में अजहर टीम में फिर से वापस आ गए। इसके बाद साउथ अफ्रीका के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज से पहले सचिन ने कप्तानी पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि ये कप्तान के तौर पर उनका आखिरी सीरीज होगा।

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