
नई दिल्ली । टीम इंडिया के ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या और कुणाल पंड्या के पिता का शनिवार को निधन हो गया। हिमांशु पंड्या ने वडोदरा में आखिरी सांस ली, उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। पिता के निधन के बाद क्रुणाल पंड्या बड़ौदा टीम के बायो बबल से बाहर निकल गए हैं। बता दें क्रुणाल सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में बड़ौदा का नेतृत्व कर रहे थे। वहीं हार्दिक पंड्या इस टूर्नामेंट में नहीं खेल रहे थे।
So glad to see his face lit up like that❤this is the guy who should get all the happiness in life and deserves all the credit, my dad! pic.twitter.com/G55mBHpraw
— hardik pandya (@hardikpandya7) August 16, 2017
हिमांशु पंड्या का अपने बेटों की सफलता में बड़ा हाथ रहा। हिमांशु सूरत में छोटा सा कार फाइनेंस बिजनेस चलाते थे, लेकिन अपने बच्चों को क्रिकेटर बनाने के लिए उन्होंने वडोदरा बसने का फैसला किया। वडोदरा में सूरत के मुकाबले क्रिकेट की अच्छी सुविधाएं थीं, इसीलिए हिमांशु पंड्या ने अपना बिजनेस तक बंद कर दिया था। हिमांशु पंड्या ने एक इंटरव्यू में बताया था कि बेटों को सिर्फ क्रिकेट खेलने देने के फैसले पर उनके कई रिश्तेदारों ने सवाल खड़े किये थे, लेकिन हम अपने विश्वास पर कायम रहे।
पिता ने पहचानी थी कु्रणाल और हार्दिक पंड्या की प्रतिभा
हिमांशु पंड्या ने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘बच्चों ने बहुत मेहनत की। मैं सूरत में था, क्रुणाल 6 साल का था, मैं उसे बॉलिंग कराता था तो देखकर लगा कि ये अच्छा खिलाड़ी बन सकता है। सूरत के रांदेड़ जिमखाना में प्रैक्टिस करते थे। किरण मोरे के मैनेजर ने क्रुणाल को बैटिंग करते देखा। उसने कहा कि कुणाल को वडोदरा लेकर आएं उनका भविष्य अच्छा है। 15 दिन बाद मैं उन्हें वडोदरा ले गया और वहीं से क्रिकेट का सफर शुरू हुआ।
हार्दिक पंड्या ने शतक ठोकने के बाद दिया था पिता को गिफ्ट
बता दें हार्दिक पंड्या ने साल 2017 में जब श्रीलंका के खिलाफ शतक ठोका था तो उन्होंने अपने पिता को कार गिफ्ट में दी थी। हार्दिक पंड्या ने एक ट्वीट के जरिये कहा था कि उनके पिता को जीवन की सभी खुशियां मिलनी चाहिए। पंड्या ने अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय पिता को दिया था। पंड्या ने लिखा था कि उनके पिता ने अपने बेटों के करियर के लिए सबकुछ छोड़ दिया था, इसके लिए बहुत हिम्मत चाहिए होती है।
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