नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से कच्चे तेल के आयात पर आगे किसी देश को कोई छूट नहीं देने का फैसला किया है। अमेरिका के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर भारत और चीन पर पड़ने वाला है। अमेरिका के इस कदम के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ गई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 72 डॉलर प्रति बैरल पर हैं। क्रूड की ये कीमतें साल के उच्चतम स्तर पर है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर ईरान से सप्लाई बंद होती है तो 2 मई के बाद क्रूड कीमतों में और तेजी आ सकती है। ऐसे में भारत की समस्याएं बढ़ जाएंगी। पेट्रोल-डीज़ल महंगा हो जाएगा. साथ ही, महंगाई बढ़ने से आम आदमी की मुश्किलें बढ़ेंगी। वहीं, देश की आर्थिक ग्रोथ पर भी इसका निगेटिव असर होगा।
अमेरिका ने ऐसा क्यों किया-अमेरिकी विदेश की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जो देश ईरान से तेल आयात पूरी तरह बंद नहीं करेगा, उसे अमेरिकी प्रतिबंध झेलना पड़ेगा. इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने वॉशिंगटन पोस्ट को रविवार को बताया था कि अमेरिका 2 मई के बाद किसी भी देश को ईरान से तेल आयात करने की कोई छूट नहीं देगा.
ईरान से क्रूड सप्लाई रुकने के बाद क्या होगा
(1) क्रूड महंगा होने से भारत को इसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी. ऐसे में घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं।
(2) ईरान की जगह अन्य देशों से कच्चा तेल आयात करने से परिवहन पर होने वाला खर्च बढ़ जाएगा. इसका असर भी कीमतों पर बढ़ेगा।
(3) ईरान के सबसे बड़े तेल ग्राहक चीन और भारत हैं। भारत चीन के बाद कच्चे का सबसे बड़ा खरीदारा है. भारत ईरान से हर रोज करीब 4.5 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद करता है. इस वजह से दोनों देशों पर सबसे ज्यादा असर होगा।
(4) भारत, ईरान के ऑयल एंड गैस सेक्टर में सबसे बड़ा निवेशक है. इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में भी टेंशन बढ़ सकती है.
(5) कच्चे तेल को लेकर सऊदी अरब, कुवैत और इराक जैसे मध्यपूर्वी देशों पर भारत की निभर्रता बढ़ेगी. इतना ही नहीं, अमेरिका के साथ भी क्रूड खरीदने के बड़े समझौते हो सकते हैं, जिसके लिए भारत को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है. पिछले साल भारत ने अमेरिका से 30 लाख टन क्रूड ऑयल खरीदने का समझौता किया था।
महंगे क्रूड से भारत पर क्या होगा असर- ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी नोमुरा के अनुमान के मुताबिक, कच्चे तेल की कीमतों में हर 10 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से भारत का राजकोषीय घाटा और करंट अकाउंट बैलेंस पर असर होता है. मतलब साफ है कि महंगे क्रूड से जीडीपी पर 0.10 से 0.40 फीसदी तक का बोझ बढ़ जाता है।
सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने भी कहा है कि तेल की कीमतों में $10 प्रति बैरल की वृद्धि जीडीपी ग्रोथ को 0.2 से 0.3 प्रतिशत नीचे ला सकती है. वर्तमान में करंट अकाउंट डेफिसिट 9 से 10 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है.ये भी पढ़ें: चीन को झटका देकर भारत आने की तैयारी में 200 बड़ी अमेरिकी कंपनियां! मिलेंगी हजारों नौकरियां
Leave a Reply