
यूनिक समय, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज भारतीय नौसेना के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत का दौरा करेंगे। यह दौरा हाल ही में सफलतापूर्वक संपन्न ऑपरेशन सिंदूर के बाद हो रहा है, जिसमें भारतीय नौसेना ने अपनी सामरिक क्षमताओं और रणनीतिक कौशल का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। इस मिशन ने न सिर्फ दुश्मन को स्पष्ट संदेश दिया, बल्कि नौसेना की तैनाती और तैयारियों को लेकर नई उम्मीदें भी जगाईं।
INS विक्रांत पर रक्षा मंत्री नौसैनिक अधिकारियों और जवानों से बातचीत करेंगे, उन्हें मिशन की सफलता के लिए बधाई देंगे और उनके उत्साह को और बढ़ाएंगे। इस अवसर पर वे संचालन की रणनीति और भावी चुनौतियों पर भी चर्चा कर सकते हैं।
राजनाथ सिंह का यह दौरा न केवल भारतीय नौसेना के मनोबल को ऊंचा करने का प्रयास है, बल्कि यह भारत की समुद्री शक्ति, रणनीतिक सोच और रक्षा नीतियों का भी परिचायक है। इससे पहले वे श्रीनगर में थलसेना और भुज में वायुसेना के साथ मुलाकात कर चुके हैं। INS विक्रांत पर उनकी उपस्थिति भारत की रक्षा तैयारियों का स्पष्ट संकेत देती है।
INS विक्रांत न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत अभियान का भी जीवंत उदाहरण है। यह पोत 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर ऊंचा है। INS विक्रांत एक तैरता हुआ एयरबेस है, जिसमें 30 से अधिक फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं, जिनमें मिग-29K, कामोव हेलीकॉप्टर और हल्के स्वदेशी लड़ाकू विमान (ALH) शामिल हैं।
INS विक्रांत चार ऑटोब्रेडा 76 मिमी गन और चार क्लोज-इन वेपन सिस्टम (CIWS) से सुसज्जित है, जो दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर सकते हैं। इसके साथ ही इसकी एडवांस रडार और मिसाइल डिफेंस टेक्नोलॉजी इसे समुद्र में एक चलती-फिरती अभेद्य किला बनाती है।
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