ढप-ढोलक, हारमोनियम और मृदंग से निकली भक्ति, मुड़िया संतों ने थिरकते हुए लगाई गोवर्धन परिक्रमा

संवाददाता
यूनिक समय, गोवर्धन। ढप-ढोलक, हारमोनियम और मृदंग से निकली भक्ति की धुन पर मुड़िया संतों ने नाचते-थिरकते हुए मानसी गंगा की परिक्रमा लगाई। गुरू भक्ति के भाव में मुड़िया संत अलग ही धुन में दिखाई दिये।
हरिनाम संकीर्तन के बीच गुरू भक्ति में तल्लीन होकर ऐतिहासिक दो शोभायात्राएं निकलीं। मुड़िया शोभायात्रा परिक्रमा मार्ग में निकली तो पुष्प वर्षा होने लगी।

मुड़िया पूर्णिमा मेला निरस्त होने के बाद प्रशासन की सशर्त अनुमति के बाद मुड़िया शोभायात्रा निकाली गई। करीब पांच सौ सालों से चली आ रही गुरू-शिष्य परंपरा का निर्वहन करते हुए सुबह पहर की मुड़िया शोभायात्रा श्रीराधा-श्याम सुंदर मंदिर से महंत रामकृष्ण दास महाराज के निर्देशन में निकाली गई।

सिर मुड़ाए मुड़िया संत हरिनाम संकीर्तन के बीच चकलेश्वर स्थित सनातन गोस्वामी की भजन कुटीर पर नमन करते हुए हरिदेव जी मंदिर दर्शन करने पहुंचे। मुड़िया शोभायात्रा मानसी गंगा की परिक्रमा करते हुए परिक्रमा मार्ग से निकाली गई। दूसरे सांय चैतन्य महाप्रभु मंदिर के महंत गोपाल दास महाराज के निर्देशन में मुड़िया शोभायात्रा निकाली। मुड़िया संतों द्वारा हाथ से खींचे जा रहे लकड़ी के रथ में पूज्य पाद श्री सनातन गोस्वामी जी महाराज को विराजमान किया। मुड़िया शोभायात्रा से पहले राधाकुंड की रघुनाथ दास गद्दी के निशान चिन्हों की पूजा की गई। भजन कुटीर चक्लेश्वर से हरिनाम संकीर्तन की धुन पर शोभायात्रा परिक्रमा करते हुए निकाली।

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