आपातकालीन सेवाओं के लिए शुरू की गई डायल-112 पर सबसे अधिक शिकायतें विधि-व्यवस्था से संबंधित आ रही हैं। वहीं, दूसरे नम्बर पर घरेलू हिंसा और फिर सड़क हादसों से जुड़ीं शिकायतें ज्यादा आती हैं। डायल-112 की समीक्षा के दौरान यह जानकारी सामने आई है।
एडीजी मुख्यालय ने बताया कि 30 सितंबर तक डायल-112 के जरिए 25 हजार 533 घटनाएं पंजीकृत हुई हैं। इनमें करीब 40 प्रतिशत फोन कॉल विधि-व्यवस्था, जबकि 13 प्रतिशत मामले घरेलू हिंसा के थे। वहीं 9 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं, 7 प्रतिशत शराब और 6 प्रतिशत चिकित्सा सेवा से जुड़ीं शिकायतें भी प्राप्त हुई। इसके अलावा 4 प्रतिशत शिकायतें लूट और 2 प्रतिशत शिकायतें अग्निशमन से जुड़ी थीं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का होगा इस्तेमाल
डायल-112 सेवा का दूसरे चरण में पूरे राज्य में विस्तार किया जाएगा। इसके साथ ही इसे और अधिक अपग्रेड किया जाएगा। एडीजी मुख्यालय ने बताया कि दूसरे चरण में डायल-112 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अधिक इस्तेमाल होगा। सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करने के दौरान इसमें कई और बदलाव किए जाएंगे। दूसरे चरण के विस्तार के लिए फिलहाल जरूरी संसाधनों का आकलन किया जा रहा है। दूसरे चरण के शुरू होने पर 15 से 18 हजार पुलिसकर्मियों की जरूरत इस सेवा के लिए होगी। वहीं करीब 1800 गाड़ियां डायल-112 में त्वरित कार्रवाई के लिए रखी जाएगी। कंट्रोल और कमांड सेंटर भी नया और बड़ा होगा।
किसी की जान बचाई तो कहीं लड़कियों को छुड़ाया
एक व्यक्ति ने कॉल कर अपने बेहोश पिताजी के लिए मदद मांगी। पास मौजूद डायल-112 की मदद से एंबुलेंस भेजी गई और मरीज को आईजीआईएमएस में भर्ती कराया गया।
डायल-112 पर सूचना दी कि लड़कियों को एक घर में बंद कर रखा गया है। सूचना मिलने के बाद 14 मिनट में पुलिस की गाड़ी बताई जगह पर पहुंची और दो लड़कियों को आजाद कराया, एक महिला भी गिरफ्तारी की गई।
एक जगह बम बनाए जाने की सूचना डायल-112 पर मिली। सूचना पर पुलिस ने छापेमारी की तो अवैध पटाखा फैक्ट्री का खुलासा हुआ।
फोन कर बताया गया कि नवजात सड़क किनारे फेंका हुआ है। डायल-112 की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और बच्चे को अस्पताल पहुंचाया, जिससे उसकी जान बचाई जा सकी।
एक शख्स ने फोन कर रेलवे ट्रैक के पास एक व्यक्ति के आत्महत्या की नियत से खड़ा होने की सूचना दी। पुलिस की टीम ने जगह को लोकेट करते हुए युवक को आत्महत्या करने से रोक लिया।
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