दिग्विजय बोले-एक पद छोड़ना पड़ेगा…गहलोत दोनों के लिए अड़े, कांग्रेस का वन पर्सन-वन पोस्ट फार्मूला

देश की नजर इन दिनों दिल्ली पर है। वजह यह है कि दिल्ली में 22 साल बाद कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव वोटिंग के जरिए हो सकता है. ऐसा न हो, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं और राहुल गांधी को अध्यक्ष का पद संभालना चाहिए। लेकिन राहुल गांधी इसके लिए तैयार नहीं हैं. यह देखते हुए कि अशोक गहलोत का नाम मतपत्र में प्रमुखता से है, यह लगभग तय है कि मतदान पूरा होने के बाद वह इस पद के लिए चुने जाएंगे।

लेकिन इससे पहले भी गेरोट इस पद के लिए चुने गए थे। राजस्थान और दिल्ली के बीच के इलाके में भूकंप आया है। अशोक गहलोत एक बड़ा फैसला ले रहे हैं. वे इस कदम पर सफल होंगे या नहीं, सोनिया गांधी के नेताओं, जो डी के करीबी हैं, ने उन्हें रोकना शुरू कर दिया है। गहलोत ने कहा कि लीक के लिए जो भी जिम्मेदार होगा, उसे पार्टी के नियमों के तहत जवाबदेह ठहराया जाएगा. पार्टी में जाते समय पार्टी के नियमों का पालन करना जरूरी है। यदि गहलोत किसी पद पर एकमात्र नियुक्त व्यक्ति हैं, तो उन्हें पद के कर्तव्यों को निभाना पड़ सकता है।

दरअसल सांसद दिग्विजय सिंह ने कल कहा कि पार्टी के नेताओं को पार्टी के नियम फॉलो करने होंगे। नियम सबसे बड़े हैं। उन्होनें कहा कि पार्टी का एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत है । यह सबके लिए होना चाहिए। उधर इस पूरे मसले में सीएम का कहना है कि जैसा पार्टी कहेगी मैं वैसा ही करूंगा। पार्टी ने ही सब कुछ दिया है, जो भी हैं वह पार्टी से ही हैं, लेकिन अंत में उन्होनें कहा कि यह समय बताएगा कि मैं कितने पद पर रहूंगा।

दिल्ली के बाद उधर गहलोत आज केरल जा रहे हैं। दोपहर तक वहां पहुंच जाएंगे और उसके बाद राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे। जैसा की उन्होनें जयपुर में कहा था कि राहुल गांधी को मनाने का आखिरी प्रयास करेंगे तो वह प्रयास आज किया जाएगा। अगर राहुल मानते हैं तो यह सारी प्रक्रिया रद्द की जा सकती है। राहुल गांधी इस समय भारत जोड़ो यात्रा में हैं। गहलोत से एक दिन पहले ही यानि बुधवार सवेरे ही सचिन पायलेट राहुल गांधी से मुलाकात कर राजस्थान लौट चुके हैं।

दरअसल अशोक गहलोत और उनके करीबी नेता चाहते हैं कि वे दोहरी जिम्मेदारी निभाएं। यानि दिल्ली भी देखें और उसके बाद राजस्थान भी संभालते रहें। बजट पेश करें और अगले साल होने वाले चुनाव में तैयारी करते रहें। उधर सचिन पायलेट गुट चाहता है कि सीएम पायलेट बने और अगला चुनाव पायलेट के नेतृत्व में लड़ा जाए। इन सभी बातों पर फैसला दिल्ली में सोनिया दरबार में होना है।

 

 

 

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