संवाददाता
यूनिक समय, मथुरा। स्थान-एसएसपी कार्याालय परिसर। सभी की आंखों में धूले झोंकते हुए एक युवती ने आत्मदाह के इरादे से मिट्टी का तेल उड़ेल लिया। इस हरकत को देखकर पुलिस कर्मियों ने दौड़ लगा दी। आग लगाने से पहले युवती को हिरासत में ले लिया। आत्मदाह करने की वजह यह थी कि उसके साथ रेप करने के आरोप की एफआईआर करने के बाद पुलिस आरोपियों को ना पकड़ना। युवती ने दो-तीन पहले आत्मदाह करने की चेतावनी भी दी, लेकिन पुलिस ने चेतावनी को हल्के मेंं लिया। हालांकि कल आरोपी प्रोफेसर ने एसएसपी के सामने अपना पक्ष रखा। कहा कि उसे और उसके साथियों को झूठा फंसाया जा रहा है।
गौरतलब है कि अधिवक्ता युवती ने सात मई को थाने हाइवे में बीएसए कॉलेज के लॉ प्रोफेसर डी.डी. चौहान एवं उसके सहयोगी समेत चार आरोपियों के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया था। अधिवक्ता युवती का आरोप था कि आरोपियों के प्रभावशाली होने के कारण ना तो उसका तत्काल डॉक्टरी परीक्षण कराया गया। ना ही 164 के बयान दर्ज कराये गये। इस पर पीड़िता ने 13 मई को एसएसपी को पत्र लिखकर आरोपियों से पुलिस द्वारा सांठ-गांठ कर डॉक्टरी परीक्षण एवं गिरफ्तार न करने का आरोप लगाया था। पत्र में चेतावनी दी गई थी अगर तत्काल आरोपी गिरफ्तार नहीं किये गये तो वह कार्यालय पर आत्मदाह करेगी। इसी क्रम में अधिवक्ता युवती ने शुक्रवार को एसएसपी कार्यालय परिसर में प्लास्टिक डिब्बा में भरकर लाए ज्वलनशील पदार्थ को अपने शरीर पर उड़ेल लिया। यह नजारे को देखकर हर कोई सकते में आ गया। किसी ने उसके साथ माचिस को छीन लिया। पुलिसकर्मी ने भाग कर युवती को हिरासत में ले लिया। उधर, प्रोफेसर डी.डी. चौहान ने एसएसपी को प्रार्थना पत्र को देकर न्याय की गुहार लगाई। आरोप लगाया कि अधिवक्ता युवती ने झांसे में फंसाया था। अब उस पर गंभीर आरोप लगा रही है। अधिवक्ता श्याम बाबू गौतम का कहना है कि पूूरा मामला आपस में मिल बैठकर निपटाया जा सकता था। पुलिस तक पहुंचने की नौबत नहीं आती है। दोनों ही समझदार और बुद्धिजीवी की श्रेणी में आते हैं।
अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद शर्मा का मानना है कि पत्नी के नाते वह अपने अधिकार मांग रही है। इसमें कुछ गलत नहीं है। वैसे उनके विचार से कुछ लोगों के साथ मामले को निपटाया जा सकता था।
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