यूनिक समय, मथुरा। महर्षि दयानंद सरस्वती जिला चिकित्सालय में कुत्ता समेत अन्य जानवरों के शिकार होने वाले लोग रोजाना आ रहे हैं। इनमें कुत्ता काटने वाले लोगों की संख्या अधिक है। इन लोगों में कुत्ता के काटने से अजीब सी दहशत दिखाई देती है। वह कुत्ते के मरने का इंतजार नहीं करते बल्कि एंटी रेबीज की पूरी डोज लगवाने के लिए डाक्टर्स के पास पहुंच रहे हैं।
यह बात तो हर कोई जानता है कि कुत्ते के काटने से रेबीज नाम की बीमारी हो जाती है। यह रेबीज जानलेवा हो सकती है। अन्यथा स्थिति गाजियाबाद में रेबीज से जान गंवाने वाले बच्चे सावेज के जैसी हो सकती है। इस बच्चे को कुत्ते ने काट लिया था, लेकिन उसे समय पर एंटी रेबीज इंजेक्शन नहीं मिल सके, पांच दिन पहले वह हवा-पानी से डरने लगा था। अंधेरे में रहने लग था। उसके परिजन उसे डॉक्टरों के पास ले गए लेकिन, बच्चे ने दम तोड़ दिया।
मथुरा हो या वृंदावन, गोवर्धन, कोसीकलां हर कसबा और ग्राम की सड़कों पर आवारा कुत्तों के झुंड कहीं भी मिल जाते हैं। इन झुंडों में कई कुत्ते लोगों को काट लेते हैं। शाम होते ही इनका साम्राज्य दिखने लगता है। ये बाइक वालों को ही नहीं कारों को पीछे भी दौड़कर उसमें बैठे लोगों को काटने के लिए लपकते हैं। हर रोज कई बच्चे, बड़े, बुजुर्ग और महिलाएं इनका शिकार बनते हैं। जिला अस्पताल के डॉ. रवि माहेश्वरी बताते हैं कि आजकल कुत्ते के काटने पर उस कुत्ते की यह निगरानी करना बहुत मुश्किल है कि कुत्ते को रेबीज है या नहीं और कुत्ता कितने दिन में मर गया…। इसलिए बेहद जरूरी है कि जिस दिन कुत्ता काटे उसी दिन एंटी रेबीज का डोज शुरू कर दें।
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