
देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार(25 जुलाई) को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में पदभार ग्रहण किया। इससे पहले द्रोपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन पहुंचकर यहां रामनाथ कोविंद और उनकी पत्नी से मुलाकात की। दोनों ने मुर्मू को पदभार ग्रहण करने के लिए बधाई दी। शपथ ग्रहण से पहले मुर्मू ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी थी। इस दौरान उन्हें 21 तोपों की शानदार सलामी दी गई। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। भारत की 15वीं राष्ट्रपति मुर्मू ने 18 जुलाई को हुई वोटिंग में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया था। काउंटिंग 21 जुलाई को हुई थी। मुर्मू के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में उनके गृह राज्य ओडिशा से 64 खास मेहमान पहुंचे हैं। सभी मेहमानों के लिए लंच का इंतजाम राष्ट्रपति भवन में किया जा चुका था। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रीमंडल के कई सदस्य, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।
जोहार ! नमस्कार ! मैं भारत के समस्त नागरिकों की आशा-आकांक्षा और अधिकारों की प्रतीक इस पवित्र संसद से सभी देशवासियों का पूरी विनम्रता से अभिनंदन करती हूं।आपकी आत्मीयता, विश्वास और आपका सहयोग, मेरे लिए इस नए दायित्व को निभाने में मेरी बहुत बड़ी ताकत होंगे: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा।
भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है।
ऐसे ऐतिहासिक समय में जब भारत अगले 25 वर्षों के विजन को हासिल करने के लिए पूरी ऊर्जा से जुटा हुआ है, मुझे ये जिम्मेदारी मिलना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है।
ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।
मेरे इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है, देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है।
मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं।
राष्ट्रपति-चुनाव द्रौपदी मुर्मू ने महात्मा गांधी को उनके शपथ ग्रहण समारोह से पहले राजघाट पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति के तौर पर कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो गया। 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू से पहले सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी रहे हैं, जिनकी राष्ट्रपति बनते समय उम्र 64 साल दो महीने थी। इससे पहले कोविंद ने शनिवार को संसद में अपना विदाई भाषण दिया था। इसमें उन्होंने पार्टियों से राष्ट्रहित में दलगत राजनीति से ऊपर उठने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि लोगों के कल्याण के लिए पार्टियों को दलगत राजनीति से दूर रहना चाहिए। उन्होंने नागरिकों से विरोध व्यक्त करने और अपनी मांग पूरा कराने के लिए गांधीवादी तरीकों का इस्तेमाल करने को भी कहा था।
राष्ट्रपति के अंगरक्षक नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के परिसर में प्रतीक्षा करते हुए। वे निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ लेने के दौरान सलामी देने पहुंचे थे।
करीब 25 साल पहले द्रौपदी मुर्मू ने एक पार्षद बनकर अपना राजनीति करियर शुरू किया था। आज वे देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंची हैं। द्रौपदी मुर्मू सबसे पहले 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर नगर पंचायत से पार्षद का चुनाव जीती थीं। फिर तीन साल बाद 2000 में वो रायरंगपुर से पहली बार विधायक बनीं। 2002 से 2004 के बीच भाजपा-बीजेडी सरकार में मंत्री बनाई गईं। 18 मई 2015 को द्रौपदी मुर्मू झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनीं।
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