हरियाणा में शराब घोटाले की स्पेशल इंक्वायरी रिपोर्ट (एसईटी) की जांच पर उप मुख्यमंत्री एवं आबकारी मंत्री दुष्यंत चौटाला ने सवालिया निशान लगा दिया है। उनका कहना है कि एक्साइज एक्ट के तहत जितनी भी एफआईआर होती हैं, उनकी जांच तस्करी में पकड़े गए वाहनों के ड्राइवरों से आगे क्यों नहीं बढ़ पाती। पुलिस अपनी जांच में कब तक ड्राइवर-ड्राइवर का खेल खेलती रहेगी। अपनी जांच की सीढ़ियां पुलिस ऊपर बड़ी मछलियों तक क्यों नहीं ले जाती।
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डिप्टी सीएम शराब घोटाले पर पेश की गई एसईटी की रिपोर्ट तक अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। दुष्यंत ने कहा कि वे इस रिपोर्ट के बारे में यही कहना चाहते हैं कि इस मामले में जांच और गहन हो सकती थी। कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर और अधिक अवलोकन हो सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। डिप्टी सीएम ने खुलकर अपने महकमे व अफसरों का बचाव किया।
दुष्यंत ने कहा कि एसईटी की रिपोर्ट में जो सिफारिशें की गई हैं, वे सभी बिंदु इस साल के लिए लागू की गई आबकारी नीति में पहले से ही शामिल किए जा चुके हैं और दिसंबर तक लागू कर दिए जाएंगे। उनके अनुसार मार्च के आखिर में लॉकडाउन लगने के बाद शराब के ठेके बंद करवाने के उनके आदेश को अधिकारियों ने उचित समय में लागू करवा दिया और इसमें कोई ढील नहीं बरती गई।
शराब डिस्टलरी में किसी अधिकारी को दौरा करने की अनुमति नहीं
डिप्टी सीएम ने साफ किया कि प्रदेश में लागू एक्ट के तहत शराब डिस्टलरी में किसी अधिकारी को दौरा करने की अनुमति नहीं है। इसलिए एसईटी की तरफ से की गई ऐसी एक मांग को नहीं माना जा सकता था। जिस विभाग में जाकर एसईटी के सदस्य जांच करना चाहते थे वो पंजाब में स्थित है जिसकी मंजूरी हरियाणा का आबकारी विभाग दे ही नहीं सकता।
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उनके अनुसार 26 मार्च की शाम को उन्होंने सभी शराब ठेके बंद करने के आदेश दिए थे और 27 मार्च की सुबह 11 बजे सभी जिलों से इसे लागू किए जाने की रिपोर्ट आ गई थी। विभाग के शीर्ष अधिकारी शेखर विद्यार्थी ने इस विषय में अच्छा काम किया और एसईटी को उन्हें किसी कोताही के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने को वे सही नहीं मानते।
रिपोर्ट के अनुसार उनके उपमुख्यमंत्री बनने से पहले आबकारी विभाग की ओर से शराब की गड़बड़ी मामलों में 14 एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। लेकिन पुलिस विभाग उन मामलों में ड्राइवर से ऊपर स्तर के किसी अधिकारी के खिलाफ ना कोई जांच कर पाया, न कार्रवाई कर पाया।
जुलाई 2019 तक अवैध शराब का स्टॉक हो चुका नष्ट
डिप्टी सीएम ने कहा कि एसईटी ने पकड़ी गई शराब को उचित समय में नष्ट न करने पर टिप्पणी की है। जबकि ये रिकॉर्ड की बात है कि जुलाई 2019 तक का अवैध शराब का स्टॉक नष्ट किया जा चुका है और उसके बाद की गई जब्त शराब को नष्ट करने के लिए नवंबर 2019 में विभाग की तरफ से बाकायदा आदेश जारी किए गए थे।
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इसमें कोई देरी नहीं हुई और फिलहाल कोरोना संकट की वजह से ही कुछ स्टॉक नष्ट नहीं किया जा सका है। 15 दिनों में सभी जिलों में मौजूद जब्त शराब को नष्ट करने के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि सोनीपत जिले के डीईटीसी पर ढील बरतने की जो रिपोर्ट आई है, उसके लिए उन्होंने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को कार्रवाई करने को कह दिया है। उन्होंने कहा कि एसईटी के सदस्य तीनों वरिष्ठ अधिकारियों ने अच्छा काम किया है।
सिफारिश कर दी गई है एक्शन का इंतजार: विज
गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि एसईटी की रिपोर्ट के बाद एक आईएएस और एक आईपीएस अफसरों के खिलाफ वे कार्रवाई की सिफारिश कर चुके हैं। उन्हें अब एक्शन का इंतजार है। इसके अलावा एक्साइज विभाग को भी कई तरह के सुधारों लिए सुझाव दिए गए हैं। उम्मीद है विभाग इन सुझावों पर जरूर गौर करेगा। एसईटी ने अपना काम पूरी जिम्मेवारी से किया है। सभी बिंदुओं पर डिटेल जांच के बाद ही कार्रवाई के लिए सिफारिश की गई है।
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