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नई दिल्ली। चुनाव आयोग रविवार शाम को लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया। चुनाव आयोग ने इस बार 100 फीसदी वीवीपीएट के इस्तेमाल का एलान कर ईवीएम पर छिड़ी बहस को विराम देने की कोशिश की हैं। चुनाव एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सौ फीसदी तसल्ली किसी को भी नहीं होती। कोई ना कोई पक्ष असंतुष्ट रह ही जाता है और उसका इजहार भी करता है।
ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की विश्वसनीयता कायम रखने के लिए आयोग सभी सीटों पर वीवीपैट (वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट) का इस्तेमाल करेगा। कांग्रेस, सपा, बसपा, टीएमसी, आरजेडी सहित कई पार्टियां ईवीएम पर सवाल उठाकर बैलेट से चुनाव करवाने की मांग करती रही हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने तो ईवीएम को ‘चोर मशीन’ तक कह दिया था। इसलिए आयोग सभी जगहों पर VVPAT मशीन उपलब्ध कराएगा।
दरअसल, ईवीएम पर उठ रहे सवालों ने ही वीवीपैट का जन्म दिया। इसे ईवीएम मशीन के साथ जोड़ा जाता है। वीवीपैट व्यवस्था के तहत वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है। इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है। बाद में पर्ची एक बॉक्स में गिर जाती है। मतदाता इसे अपने घर नहीं ले जा सकता। यह व्यवस्था इसलिए है कि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके।
आयुक्त अरोड़ा ने पिछले दिनों कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट का इस्तेमाल होगा। उन्होंने यह भी साफ किया था कि अब मतदान प्रक्रिया बैलट पेपर के दौर में नहीं लौटेगी। आयोग के सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनावों में सभी बूथों पर VVPAT मशीनें उपलब्ध कराने के लिए 16.15 लाख मशीनों का ऑर्डर दिया गया है। लगातार हार का सामना कर रहे दल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में छेड़छाड़ और हैकिंग के आरोप लगाकर चुनाव आयोग को सवालों के कटघरे में खड़ा करते रहे है।
बता दें कि वीवीपैट यानी वोटर वेरीफायएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएट) के तहत मतदान करने के बाद एक पर्ची निकलती है जो मतदाता को मिलती है। इस पर्ची में जिस उम्मीदवारों को वोट दिया गया है उसकी पार्टी का नाम चुनाव चिन्ह और प्रत्याशी के नाम आदि की सूचना अंकित होती है। यह पर्ची एक प्रकार से मतदाता के मतदान का प्रमाण है। ईवीएम से वोटों की गितनी पर विवाद होने पर इन पर्चियों का मिलान इलेक्ट्रॉनिक वोटों से किया जा सकता है। वीवीपैट का इस्तेमाल पहली बार सितंबर 2013 में नागालैंड के चुनाव में हुआ था। वीवीपैट का ईवीएम के साथ इस्तेमाल नागालैंड की नोकसेन विधानसभा में किया गया था।
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