पढ़िए: फिल्म द लायन किंग का रिव्यू, शाहरूख खान के बेटे आर्यन का हुआ डेब्यू!

मुंबई। 1994 में रिलीज़ हुई डिज़्नी की सुपरहिट एनिमेशन फिल्म ‘द लायन किंग’ का नया रीमेक आज भारत में रिलीज़ हुआ है. इस फिल्म के हिंदी डब संस्करण में शाहरुख खान और उनके बेटे आर्यन खान अपनी आवाज़ देंगे. इस तरह से आर्यन का फिल्मी डेब्यू (Voice Acting) भी हो जाएगा.  पढ़िए उनका रिव्यू :-

नाक पर थ्री डी चश्मा टिकाए, घने जंगलों से होते हुए जब आप अदभुत दिखने वाली प्राइड रॉक तक पहुंचते हैं तो डिज़्नी के इस शाहकार से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते. लायन किंग का ये नया संस्करण सिनेमा में तकनीक के इस्तेमाल का बेजोड़ नमूना है. ये ठीक वैसी ही फिल्म है जैसी फिल्म को माता-पिता अपने बच्चों के साथ वीकेंड पर देखना चाहेंगे.

हम सभी को पता है कि एक अच्छी कहानी को बार बार सुनाना कभी कभी बोरिंग हो जाता है. मुझे याद आता है जब गर्मियों की छुट्टियों में हम अपनी दादी-नानी के आसपास इकट्ठा हो जाते और उनसे राजा-रानी, जादूगरनी और जिन्नों की कहानी सुनाने की मांग करते. कुछ समय तक तो वो कहानियां सुनातीं, लेकिन फिर उनके पास हमें सुनाने के लिए कहानियों का भंडार खत्म हो जाता और पीछे रह जाते हम उकताते और बोरियत महसूस करते बच्चे.

लेकिन, वो इस मामले में काफी समझदार थीं. वो अपनी पुरानी कहानियों में ही कुछ ऐसा ट्विस्ट या मोड़ या कोई ऐसा किरदार जोड़ देतीं, जो उनकी कहानी को फिर से नया बना देता. ये किसी जादू की तरह काम करता था. डिज़्नी ने भी अपनी कहानी में वही दादी-नानी वाला जादू लाने की कोशिश की है और इस बार फोटो-रिएलिस्टिक तकनीक का इस्तेमाल कर नई जेनेरेशन को अपनी तरफ लाने का प्रयास है.

Lion King
Lion King इस फिल्म में अत्याधुनिक फोटो रिएलिटी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जो बड़े पर्दे पर एनिमेशन का पता नहीं लगने देता

इस फिल्म के कथानक का ज़िम्मा जेफ नाथनसन के हाथों में था और कहानी को नया जैसा बनाने का काम था ब्रेंडा चैपमैन के पास. इन दोनों ही ने मूल कहानी के साथ वफादारी निभाई है, लेकिन ड्रामा को बढ़ाने के लिए कुछ छोटे मोटे बदलाव किए गए हैं. जैसे नाला (सिंबा की दोस्त) को शिकार पर जाने के लिए लक्कड़बग्घों और खुद स्कार (मुख्य विलेन) से लड़ना पड़ता है. इसके अलावा कहानी में छोटे छोटे कई बदलाव हैं जिन्हें नई ऑडियंस कैसे भी देख सकती थी.

लेकिन, ये काम करता है. पहले ही दृश्य में जब मुख्य विलेन स्कार की एंट्री होती है और वो सिंबा के सामने अपने चिर परिचित डॉयलॉग “ज़िंदगी सभी के लिए एक जैसी नहीं होती दोस्त…” को दोहराता है तो उसकी ठंडी, गुर्राहट भरी आवाज़ शानदार प्रभाव उत्पन्न करती है.

Shahrukh Khan
Shahrukh Khan शाहरुख खान इस फिल्म के हिंदी संस्करण में अपनी आवाज़ दे रहे हैं
जंगल बुक बना चुके जॉन फेवेरू की इस फिल्म में कमी है तो बस मानवीय संवेदनाओं की. जानवरों के चेहरे पर वो भाव नहीं आ पाते जो फिल्म में बनाए गए दृश्यों को देखकर महसूस होते हैं. हालांकि, सिंबा को जब दुनिया के सामने लाया जाता है तो वो अपनी आंखों को हैरत से झपकाता है, लेकिन कुछ कमी रह जाती है, जो एनिमेटेड वर्जन में नहीं थी. लेकिन इस फिल्म के हिंदी वर्जन में शाहरुख और उनके बेटे की आवाज़ को सुनना भी एक अलग एहसास होगा.

फिल्म में डिज़्नी के जानेमाने किरदार टिमोन और पुंबा भी मौजूद हैं, जो गुदगुदाने का काम करते हैं. जंगल की व्यवस्था का मुआयना करते हए उनका एक सीन अच्छा बन पड़ा है. जॉन फेवेरू बतौर निर्देशक डिज़नी की इस महान फिल्म को फिर से ज़िंदा करने के काम को बखूबी निभा पाए हैं. जॉन ने अपने कई इंटरव्यू में कहा है कि वो इस फिल्म के ओरिजनल एनिमेटर्स के साथ मिलकर काम करते थे, ताकि वो पुरानी फिल्म की लीगेसी को खराब न कर दें. अपनी टीम के साथ मिलकर इस तकनीकी फिल्म को जॉन ने बेहतरी से बनाया है. सिनेमैटोग्राफी में कॉलेब डेशनेल, जेम्स चिनलुंड का प्रोडक्शन डिज़ाइन और व्लाद बीना का आर्ट कमाल का है.

एक फ्रेंच कहावत के अनुसार – ‘चीज़ें जितना बदलती हैं, उतना ही वो पहले जैसी हो जाती हैं.’ – इस फिल्म के संदर्भ में भी यही बात है. ये फिल्म सिनेमा की बेहतरी के लिए है और पहले जैसी ही है.

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