
यूनिक समय, मथुरा। मथुरा जिले का क्षेत्रफल करीब 3340 वर्ग किलोमीटर है, और अनुमान है कि 2025 की जनगणना में यहां की आबादी 32 लाख से अधिक हो जाएगी। 2011 की जनगणना के अनुसार यह संख्या लगभग 25 लाख थी। जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ मथुरा में धार्मिक स्थलों, होटल, मॉल, उद्योगों और जंगलों की संख्या भी बढ़ रही है, जो अग्निकांड की संभावनाओं को बढ़ाते हैं। इसके बावजूद जिले की अग्निशमन व्यवस्था अत्यंत कमजोर है। फायर ब्रिगेड के पास न तो पर्याप्त संख्या में कर्मचारी हैं और न ही आधुनिक संसाधन। यदि किसी क्षेत्र में बड़ी आग लग जाती है, तो जनधन की क्षति को रोक पाना लगभग असंभव हो जाता है। अग्निशमन विभाग हर साल 14 अप्रैल को “राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस” मनाता है और एक सप्ताह तक जागरूकता अभियान चलाता है, परंतु हकीकत में व्यवस्थाएं खुद सवालों के घेरे में हैं।
लोगों की शिकायत रहती है कि आग लगने की घटनाओं में फायर ब्रिगेड अक्सर घंटों की देरी से पहुंचती है। समय पर पहुंचने पर नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है, लेकिन अधिकतर फायर टेंडर या तो खराब होते हैं या स्टाफ की उपलब्धता नहीं होती। अधिकारी जब भी सवालों से घिरते हैं, तो यही कहकर टाल देते हैं कि “काम चल रहा है, बाद में बात करें।”
इतने बड़े और संवेदनशील जिले के लिए आवश्यक है कि पांचों तहसीलों में फायर ब्रिगेड की गाड़ियों और स्टाफ की संख्या को बढ़ाया जाए। बढ़ती जनसंख्या और क्षेत्र की भौगोलिक जटिलता को देखते हुए यह बदलाव समय की मांग है, जिससे किसी आपदा की स्थिति में प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया दी जा सके।
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