इस मामले में शक्ति सिंह का कहना है कि प्रशासन इन मूर्तियों को सम्मान के साथ कैंपस में कहीं और लगाने की इजाजत देगा तो ठीक है, वरना मूर्तियां यहीं स्थापित रहेंगी। एबीवीपी के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव ने कहा कि छात्र संघ लंबे समय से मूर्तियों को स्थापित करने की मांग कर रहा था। प्रशासन को मांग पर गौर करना चाहिए था। ऐसा नहीं होने पर विरोधस्वरूप छात्र संघ को ऐसा रुख अपनाना पड़ा।
उधर, आर्ट्स फैकल्टी के गेट पर मूर्ति लगाने पर एनएसयूआई और आइसा विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन का कहना है कि वीर सावरकर देश के लिए लड़ने वाले सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह के बराबर नहीं हो सकते। एनएसयूआई ने इस मामले में डीयू प्रशासन को लिखा है कि इस तरह की बातों के लिए अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
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