
यूनिक समय, नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर दोहराया है कि पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम (सीजफायर) को लेकर अमेरिका की भूमिका के दावे पूरी तरह निराधार हैं। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का निर्णय दोनों देशों के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स) के बीच आपसी बातचीत से हुआ था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते पूरी तरह द्विपक्षीय हैं। न तो व्यापार और टैरिफ का मुद्दा इस बातचीत का हिस्सा था, और न ही इसमें किसी बाहरी शक्ति की भूमिका रही। हमने हमेशा कहा है कि आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते।”
जायसवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत जम्मू-कश्मीर पर किसी भी प्रकार की वार्ता तब तक नहीं करेगा, जब तक पाकिस्तान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) को खाली कर भारत को नहीं सौंप देता।
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा यह दावा किया गया था कि उनकी टैरिफ नीति के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर संभव हुआ। अमेरिकी अधिकारी हॉवर्ड लुटनिक ने एक अदालत में यह तर्क दिया कि अगर अमेरिकी सरकार की टैरिफ लगाने की शक्तियों को सीमित किया गया, तो भारत-पाक सीजफायर टूट सकता है। इस बयान को भारत ने पूरी तरह खारिज किया है।
विदेश मंत्रालय ने सिंधु जल संधि पर भी बयान देते हुए कहा कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह और विश्वसनीय तरीके से बंद नहीं करता, तब तक संधि को निलंबित रखा जाएगा। प्रवक्ता ने कहा, “जैसे आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते, वैसे ही आतंक और व्यापार भी साथ नहीं चल सकते।”
इस बीच, ईरान में लापता हुए तीन भारतीय नागरिकों के मामले पर भी विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी। प्रवक्ता ने बताया कि तीनों नागरिक तेहरान में उतरने के बाद से लापता हैं और उन्हें सुरक्षित वापस लाने के लिए ईरानी अधिकारियों से लगातार संपर्क किया जा रहा है। मंत्रालय उनके परिवारों के साथ भी लगातार संपर्क में है और हरसंभव मदद की जा रही है।
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