मंगलवार से सियासी गलियारों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादू की पुड़िया चर्चा का विषय बनी हुई है। कांग्रेस पार्टी के अच्छे-अच्छे नेता इसकी चर्चा पर मुस्कराभर देते हैं। पार्टी में भी अशोक गहलोत जादूगर कहे जाते हैं। सचिन पायलट के चार समर्थक विधायकों ने मंगलवार को बैठक में हिस्सा लिया था। उसमें से एक का मानना है कि सच में गहलोत जादूगर हैं और उनके पास कोई जादू की पुड़िया है, जिसे सुंघाकर सब अपने वश में कर लेते हैं।
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अशोक गहलोत को कांग्रेस मुख्यालय के दफ्तर में देखते हुए करीब दो दशक हो गए। गहलोत हमेशा से ही लो प्रोफाइल रह कर भी हाई प्रोफाइल बने रहते हैं।
अशोक गहलोत का हमेशा अपने गुस्से पर काबू रहता है। निगाह हमेशा महाभारत के अर्जुन की तरह चिड़िया की एक आंख पर रहती है अपने पत्ते खोलने की उन्हें कोई जल्दबाजी नहीं रहती।
जयपुर में राजस्थानी संगीत से जुड़ा एक घराना है, सुजानगढ़ से नाता रखता है। अशोक गहलोत से उसका बेहद करीबी संबंध है। घराने के सूत्र बताते हैं कि अशोक गहलोत सुनार की तरह अपने आभूषण को गढ़ते हैं। संगीत के सुर, लय और ताल की तरह सजाते हैं और होम्योपैथिक दवा की तरह मीठी गोली देकर मर्ज ठीक कर ले जाते हैं।
पत्रकारों में अशोक गहलोत के कुछ गिने-चुने दोस्त हैं। गहलोत उनके सुख और दुख के दिनों के साथी भी हैं। हालांकि किसी के लिए गहलोत ने कुछ भी कभी आउट ऑफ टर्न नहीं किया है, लेकिन ख्याल बराबर रखते हैं। वह धारदार राजनीतिक वार से विरोधी पर हमला करने में यकीन नहीं रखते। अपने हर विरोधी को कटी पतंग बना देते हैं।
एक नाम चंद्रराज सिंघवी का है। सीपी जोशी से लेकर वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत तक उनसे परिचित हैं। चंद्रराज सिंघवी ने एक बातचीत में बताया था कि किसी को बारीक राजनीति के गुण सीखने हों, तो अशोक गहलोत से अच्छा गुरु बमुश्किल से मिलेगा। हालांकि सिंघवी का कहना है कि गहलोत सिखाते नहीं बल्कि खुद ही सीखना भी पड़ेगा।
सबकी सुनते हैं, संवाद नहीं तोड़ते
अशोक गहलोत की राजनीति के बारे में जोधपुर के उनके करीबी कुछ अलग हटकर बताते हैं। अशोक गहलोत जब बातचीत में कोई उदाहरण देते हैं, तो वह बड़ा सटीक होता है।
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वह बोलते हैं, लेकिन उनमें सुनने की क्षमता ज्यादा है। किसी से संवाद नहीं तोड़ते, रिश्ता बिगड़ भी रहा हो तो जुड़ने की गुंजाइश छोड़कर रखते हैं। किसी को अपना गुरूर नहीं दिखाते, लेकिन जो आंख से उतर गया, वह जल्दी जगह नहीं बना पाता।
गहलोत के बारे में दिल्ली में उनके मित्र और पुराने कांग्रेसी नेता बताते हैं कि मुख्यमंत्री में खांटी जमीनी राजनीति के गुण हैं। गांव, खेत, खलिहान, मजदूर से लेकर हर तबके में अपनी जगह बना लेते हैं।
सोनिया, प्रियंका, अहमद, जनार्दन से अच्छा रिश्ता
चाहे सीपी जोशी हों या गिरिजा व्यास, पुराने कांग्रेसी परिवारों में चाहे मिर्धा हों या मदेरणा या फिर गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला हों, दिग्गज मुख्यमंत्री गहलोत ने सभी में अपनी जगह अपने तरीके से बनाई है।
राजस्थान में मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने वाले नेताओं के बीच में बिना प्रतिद्वंदी दिखे मुख्यमंत्री की कुर्सी पाते रहे हैं। राजस्थान के कुछ नेता बताते हैं कि उनमें जगन्नाथ पहाड़िया जैसे नेता के काफी लक्षण हैं।
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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी का वक्त भी देखा है। भाजपा के दिवंगत नेता भैरों सिंह शेखावत की राजनीतिक शैली भी उन्हें प्रभावित करती रही है।
कांग्रेसी नेताओं में अहमद पटेल, जर्नादन द्विवेदी से अच्छे रिश्ते हैं। खराब रिश्ता किसी के साथ नहीं है। इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को अशोक गहलोत पर काफी भरोसा रहता है।
गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रभारी अशोक गहलोत थे। उनके कामकाज ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बहुत करीब लाने में मदद की है। आखिर अब गहलोत को क्या चाहिए।
उन्हें टुकड़ों-टुकड़ों में जानने वाले नेताओं का मानना है कि अशोक गहलोत रिश्तों का सही इस्तेमाल भी करना बखूबी जानते हैं।
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