बांके बिहारी कॉरिडोर बनवाए सरकार, लेकिन अपने पैसे से, HC ने मंदिर प्रबंधन में हस्तक्षेप से भी रोका

Banke Bihari Mandir Corridor

यूनिक समय ,प्रयागराज:  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा के वृंदावन में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने की सरकारी योजना को हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार कानूनी प्रक्रिया के तहत दर्शन प्रभावित किए बगैर अपने धन से यह दायित्व पूरा करे। मंदिर के बैंक खाते में जमा 262.50 करोड़ रुपये को न छुआ जाय। मंदिर प्रबंधन में भी हस्तक्षेप न हो।

कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन से भी कहा कि किसी भी श्रद्धालु को दर्शन करने से न रोकें। जिला प्रशासन को आदेश का पालन सुनिश्चित कर 31 जनवरी 2024 को अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी। कोर्ट ने इस मामले में 8 नवंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता से अतिक्रमण हटाए सरकार

कोर्ट ने कहा कि सरकार तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता से गलियों का अतिक्रमण हटाकर कॉरिडोर योजना अमल में लाए और देखे कि दुबारा अतिक्रमण न हो। याचिका पर अधिवक्ता श्रेया गुप्ता, सेवायतों की तरफ से संजय गोस्वामी, राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और मुख्य स्थायी अधिवक्ता कुणाल रवि आदि ने बहस की।

इससे पहले, सुनवाई के दौरान गोस्वामी की तरफ से याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की गई। कहा गया कि यह निजी मंदिर है। सरकार को इसके प्रबंधन में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार मंदिर के बाहर कॉरिडोर बनाती है तो उन्हें आपत्ति नहीं है। मंदिर के चढ़ावे को सरकार न ले। अपना धन खर्च करे।

सरकार सुरक्षा को लेकर उठाये कदम

कोर्ट ने कहा कि मानव जीवन किसी की आपत्ति पर असुरक्षित नहीं छोड़ा जा सकता, भले ही निजी मंदिर हो। यदि श्रद्धालुओं की अनियंत्रित भीड़ दर्शन को आती है तो सरकार का दायित्व है कि वह लोक व्यवस्था और जीवन सुरक्षा के लिए कदम उठाए।

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