जोधपुर झाल पर सैकड़ों की संख्या में नकटा बतखों ने डाला डेरा

नकटा बतख

यूनिक समय, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा आगरा मथुरा जनपद की सीमा पर विकसित जोधपुर झाल पर नाब-बिल्ड डक (नकटा या कंघी बतख) ने डेरा डाले हुए हैं। सैकड़ों की संख्या में कंघी बतख ने पहली बार जोधपुर झाल को।अपना ठिकाना बनाया है। अब इनके यहां प्रजनन करने की संभावना है।

जोधपुर झाल को उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने फरह के निकट 64 हेक्टेयर में वन विभाग और विकास प्राधिकरण के सहयोग से तैयार किया है। करीब चार किलोमीटर में फैले जोधपुर झाल पर ईको-सिस्टम विकसित किया है। जिसमें सात वाटर बॉडी भी हैँ। वर्तमान में करीब 200 की संख्या में नर व मादा नाब-बिल्ड डक (नकटा या कंघी बतख) जोधपुर झाल में डेरा डाले हुए हैं। वेटलैंड हेविटाट व भोजन की उपलब्धता के कारण इसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

जैव विविधता का अध्ययन करने वाली संस्था बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी के पक्षी विशेषज्ञ डाॅ. केपी सिंह के अनुसार नॉब-बिल्ड डक का वैज्ञानिक नाम सरकिडियोर्निस मेलानोटोस है। इसे भारत में नकटा या कंघी बतख नाम से भी पुकारा जाता है।

डॉ. केपी सिंह के अनुसार नर की चोंच के ऊपर पत्ती के आकार की कंघी होती है इस कारण इसका नाम नाब-बिल्ड रखा गया है। यह बड़े आकार के बतख हैं। इनकी पीठ के पंखो का रंग दालचीनी के किनारों के साथ एक धातु-बैंगनी, बैंगनी, कांस्य और हरे रंग का होता है। सिर का रंग दूधिया सफेद और गर्दन नारंगी-पीले रंग की होती है। मानसून पूर्व नाब-बिल्ड डक का प्रजनन प्रारम्भ हो जाता है। इनका प्रजनन जून से सितंबर तक होता है।

उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के पर्यावरण विशेषज्ञ मुकेश शर्मा ने बताया कि जोधपुर झाल पर बनाए जल निकायों व सोलर पंप से पानी की व्यवस्था के परिणाम स्वरूप भीषण गर्मी में सैकड़ो पक्षियों ने डेरा जमा रखा है। उन्हें प्राकृतिक रूप से जलीय जीव व वनस्पतिक भोजन उपलब्ध है।

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