यूनिक समय, मथुरा। श्री कृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की सेवा एक छोटे बच्चे की तरह की जाती है। सुबह से लेकर शाम तक पूरा ध्यान जैसे एक बच्चे का रखा जाता है वैसे ही लड्डू गोपाल का ध्यान रखना होता है। लेकिन गंगा बाबा का अंदाज लड्डू गेपाल के श्रृंगार को लेकर कुछ अलग है। वे अपने लल्ला को 2 घंटे में सजाते व संभारते हैं। हर दिन एक अलग श्रृंगार करते हैं। सोमवार से लेकर रविवार तक का पूरा श्रंगार अलग-अलग है। सर्दी,गर्मी,बरसात एवं बसंत ऋतु इन सभी मौसमों के हिसाब से ठाकुर जी की पोशाक एवं श्रृंगार बदलते रहते हैं। जिससे नन्हे कन्हैया को कोई दिक्कत ना हो। इसके साथ उनकी सारी पोशाकें और आभूषणों को वे संजो कर रखते हैं।
लड्डू गोपाल के माथे पर लगी बिंदी इठलाता है:गंगा बाबा
आपने कई प्रकार के श्रृंगार देखे होंगे लेकिन संत आनंद स्वरुप गंगा बाबा अपने लड्डू गोपाल का श्रंगार एक से एक सुंदर बिंदियों से करते हैं। जो आभूषण महिलाओं के पास नहीं होंगे वे आभूषण गंगा बाबा अपने नन्हे कान्हा के लिये लाकर देते हैं। एक से एक सुंदर मुकुट,कलंगी,खड़ुए आदि अपने लड्डू गोपाल के लिये खरीदते हैं।
लड्डू गोपाल के लिये अपने हाथों से बनाते हैं पोशाक
गंगा बाबा स्वयं ही लड्डू गोपाल की पोशाकों को गोटे,मोती व रंग-बिरंगे सितारे आदि से सजाते हैं। जिस रूप में उन्हें अपने लड्डू गोपाल को देखना चाहते हैं वह वैसे ही वस्त्र उनके लिये लिये तैयार करते हैं।
प्रत्येक त्योहार पर करते हैं अलग श्रृंगार
प्रत्येक त्योहार पर लड्डू गोपाल का श्रंगार कुछ अलग अंदाज में करते हैं गंगा बाबा। नवरात्रों में नौ दिन तक देवी के रूप में नन्हे कान्हा का श्रृंगार करते हैं। करवा चौथ पर अपने लड्डू गोपाल को राधारानी बनाते हैं।
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