रिसर्च में हुआ खुलासा: मस्तिष्क को बुरी तरह से नुकसान पहंचा रहा है कोरोना वायरस!

नई दिल्ली। कोरोना वायरस अब तक पूरी दुनिया में 78 लाख से ज्यादा लोगों पर असर डाल चुका है। अब तक कोई असरदार दवा खोजने में असफल रहे वैज्ञानिकों को इसका बदलता पैटर्न डरा रहा है। पहले माना गया कि ये कोरोना फैमिली के दूसरे वायरसों की तरह ही फेफड़ों पर हमला करता है। जल्दी ही पता चला कि ये शरीर के सारे अंगों को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है। इसमें नर्वस सिस्टम भी शामिल है। मस्तिष्क से संबंध रखने वाले तंत्रिका तंत्र पर असर की वजह मरीज में स्ट्रोक जैसे मामले दिख रहे हैं।

एनल्स ऑफ न्यूरोलॉजी नाम के साइंस जर्नल में 11 जून को छपी रिपोर्ट काफी भयावह है. इसमें कोरोना मरीजों पर हुई 50 स्टडीज की रिव्यू आई, जो बताती है कि कोरोना नर्वस सिस्टम पर कैसे असर डालता है. वायरस 3 तरह से सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है- पहला, सीधे-सीधे मस्तिष्क पर हमला करना, दूसरे तरीके में उन मरीजों को खतरा होता है, जिन्हें स्ट्रोक की हिस्ट्री रही हो. तीसरे तरीके के तहत संक्रमण के बाद मरीज कई बीमारियों की चपेट में आ सकता है, जैसे Guillain-Barre Syndrome. ये इम्यून सिस्टम की बीमारी है जो मस्तिष्क को बुरी तरह से प्रभावित करती है।

दिसंबर में चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस का इतना खतरनाक होना वैज्ञानिकों के लिए अजूबा बना हुआ है. इससे पहले भी सार्स और मर्स बीमारियां कोरोना फैमिली के वायरस से ही फैली थीं, लेकिन वे फेफड़ों पर ही असर डालती थीं. इन वायरसों का हमला भी अपेक्षाकृत सीमित था, जिसमें पूरी दुनिया के लगभग 10,500 लोग संक्रमित हुए।

अब नर्वस सिस्टम पर भी वायरस के हमले को देखते हुए वैज्ञानिक डॉक्टरों को सचेत कर रहे हैं कि वे मरीजों में ऐसे लक्षणों पर भी ध्यान दें। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक रिव्यू के मुख्य वैज्ञानिक डॉ इगोर कोरैलनिक ने कहा कि मरीजों में बुखार, खांसी-सर्दी जैसे कोरोना के लक्षणों से पहले कोई न्यूरोलॉजिकल लक्षण भी दिख सकता है. इस वजह से डॉक्टरों और आम लोगों को भी इसके लिए सचेत रहना चाहिए कि क्या उनमें कोई भी अलग लक्षण दिख रहा है।

इसकी वजह का ठीक-ठाक पता नहीं लेकिन माना जा रहा है कि कोरोना वायरस के स्पाइक्स जिस प्रोटीन ACE रेसेप्टर से जुड़कर शरीर में हमला करते हैं, वो मस्तिष्क की रक्त वाहिनियों में भी होता है। यही वजह है कि वायरस यहां तक पहुंच जाते हैं. इससे मरीज के दिमाग में खून का जमाव हो सकता है, जिसके कारण स्ट्रोक हो सकता है. इसी तरह के वायरस शरीर के दूसरे अंगों पर असर डालता है।

फेफड़ों तक पहुंचने के बाद वायरस क्या करता है
कोरोना हमले में मृत शरीरों के क्रॉस सेक्शन में पाया गया कि फेफड़ों में पाए जाने वाले alveolus की दीवारें वायरस के अटैक कारण फट जाती हैं और alveolus में सूजन आ जाती है. गुब्बारे के आकार ये छोटी-छोटी संरचनाएं alveolus फेफड़ों में होती हैं जो ऑक्सीजन लेने और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकालने की प्रक्रिया का हिस्सा रहती हैं. इसकी दीवारें फटने के बाद मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पाती है. इससे मरीज में खांसी, बुखार के साथ सांस लेने में मुश्किल जैसे लक्षण दिखते हैं।

लिवर के साथ वायरस क्या करता है
ये शरीर का बेहद जरूरी अंग है, जिसे हिंदी में यकृत कहते हैं। ये पाचन में अहम भूमिका निभाता है। कोरोना प्रभावित आधे से ज्यादा मरीजों में पाचक एंजाइम उस स्तर पर पहुंच गए थे, जो बताते हैं कि खाने के पाचन में शरीर के इस हिस्से को मुश्किल हो रही है। ये भी हो सकता है कि वायरस से लड़ने में तेज हुए इम्यून सिस्टम और दवाओं की वजह से भी लिवर को नुकसान हो रहा हो।

किडनी डैमेज भी आम
कोरोना के बहुत से मामलों में मरीज की मौत किडनी डैमेज के कारण देखी गई. हो सकता है कि वायरस लंग्स के बाद सीधे किडनी पर हमला कर देते हों या फिर ये भी हो सकता है कि शरीर के सारे अंगों के काम करना बंद करने की वजह से किडनी पर असर पड़ता हो जैसे कि गिरते हुए ब्लडप्रेशर के कारण।

आंखों पर भी दिख रहा है असर
बहुत ज्यादा बीमार मरीजों में आंखों की समस्या दिख रही है. जैसे कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis), आंखों की बाहरी सतह पर सूजन और पलकों के भीतरी हिस्से पर सूजन जैसी चीजें कोरोना के गंभीर लक्षणों वाले मरीजों में कॉमन है।

नाक पर क्या होता है असर
लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें कोरोना संक्रमित सूंघ न पाने की समस्या से ग्रस्त हैं. Sense of smell जाने की एक वजह ये भी मानी जा रही है कि मरीजों में नाक से होते हुए जब वायरस भीतर पहुंचते हैं तो होस्ट सेल तक पहुंचने की प्रक्रिया में नाक की नर्व्स को डैमेज कर देते हैं।

हार्ट और ब्लड वैसल्स पर भी असर
वायरस हमारी कोशिका से जुड़ने के लिए कांटेदार या नुकीले स्ट्रक्चर वाले प्रोटीन की मदद लेता है. हमारे भीतर की कोशिकाएं इस प्रोटीन के लिए होस्ट सेल का काम करती हैं. इसी प्रक्रिया के दौरान शरीर में खून का जमना, ह्रदय गति रुकना और दिल के भीतरी हिस्से में सूजन (myocarditis) जैसी बातें देखी जा रही हैं।

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