कोरोना वायरस के मद्देनजर अगस्त तक किस्तें चुकाने से मिली छूट (मोरेटोरियम) का लाभ लेना ग्राहकों को महंगा पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक कई बैंकों ने मोरेटोरियम सुविधा लेने वाले कर्जदार का नाम नकारात्मक सूची में डालना शुरू कर दिया इसके जल्दी उनके नए रेट के आवेदन खारिज किए जा सकते हैं। कई लाभार्थियों के मारेटोरियम से पहले स्वीकृत ऋणों को तो निरस्त किया भी जा चुका है। अगस्त तक ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर सुरक्षित रखने के लिए आरबीआई के निर्देशों के बावजूद बैंकों का यह कदम हैरान करने वाला है।
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भुगतान क्षमता पर बैंकों का जोर
बैंकिंग एक्सपर्ट का कहना है कि जब भी कोई बैंक किसी व्यक्ति को कर्ज देता है, तो वह सिर्फ क्रेडिट स्कोर ही नहीं बल्कि उसकी अदायगी की क्षमता का भी आकलन करता है। किसी कर्जदार द्वारा मोरेटोरियम सुविधा का लाभ लेना तकनीकी रूप से दर्शाता है कि वह वित्तीय संकट में हैं और मौजूदा ऋण चुकाने में अक्षम है। साथ ही उसके समक्ष आगे भी नकदी संकट खड़ा हो सकता है। इसके मद्देनजर बैंक जोखिम से बचने के लिए ईएमआई डालने वाले ग्राहकों को नकारात्मक सूची में डाल रहे हैं। साथ ही कई लाभार्थियों के स्वीकृत ऋण भी का खारिज कर दिए हैं।
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अस्थाई कदम, जल्द मिलने लगेगी ढील
कुछ जानकर किस्तें टालने वालों के लिए नए खारिज करने का कदम स्थाई मान रहे हैं। उनका कहना है कि हालत सामान्य होते ही बैंक इसमें ढील देने लगेगी। मोरेटोरियम के बाद छह माह तक नियमित किससे देने की क्षमता देखकर बैंक फिर नया ऋण देने लगेंगे।
बहुत जरूरत हो तभी लें ऋण
एक्सपर्ट के मुताबिक, मोरेटोरियम लाभ के कारण नया ऋण लेने में बाधा आए तो ग्राहक बैंकों को सैलरी स्लिप और अकाउंट स्टेटमेंट दिखाकर नकदी होने का सबूत दे सकते हैं। वैसे, फिलहाल अस्थिरता के दौर में नए कर्ज से बचें तो बेहतर रहेगा। मोरेटोरियम के बाद ईएमआई नहीं चुकाई तो क्रेडिट इसको भी प्रभावित होगा जिससे भविष्य में दिक्कत बढ़ेंगी। लिहाजा ऋण तभी लें जब नकदी की बहुत ज्यादा जरूरत हो।
शर्तों से अनजान लोगों ने जल्दबाजी में चुना विकल्प
लॉकडाउन की घोषणा से घबराए कई लोगों ने जल्दबाजी में यह विकल्प चुना है। उन्होंने पर्याप्त नकदी के बावजूद किससे टालने का फैसला लिया। अगर बैंकों की आगामी शर्तों का पता होता तो काफी लोग मोरेटोरियम नहीं चुनते।
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