इस्लामाबाद
अफगानिस्तान में तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच का विवाद अब खुले तौर पर सभी के सामने आना शुरू हो चुका है। असवाका न्यूज ने भी तालिबान सहयोगियों के हवाले से बताया कि तालिबान और हक्कानियों के बीच सत्ता को वितरण को लेकर मतभेद लगातार बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि तालिबान अफगानिस्तार पर कब्जे के 20 दिन बाद भी सरकार का गठन नहीं कर पा रहा है जबकि मुल्क में हर मोर्चे पर वह फ्रंटफुट पर दिखाई दे रहा है। इस पूरी पिक्चर में पाकिस्तान की एंट्री हुई शनिवार को जब आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद काबुल पहुंचे। पाकिस्तान ने कहा है कि वह अफगानिस्तान में तालिबान को सरकार गठन में सहयोग करेगा। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान इस मामले में इतना दखल क्यों दे रहा है और अगर तालिबान-हक्कानी मतभेद से उसे क्या नुकसान हो सकता है?
तालिबान की सलाह- टीटीपी से खुद निपटे पाकिस्तान
पाकिस्तान के बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में रविवार सुबह एक बम धमाका हुआ। इसमें 20 लोग घायल हो गए और 4 लोगों की मौत हो गई। इस हमले के पीछे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का हाथ बताया जा रहा है। यह आतंकी समूह अफगान तालिबान से ही संबंधित एक गुट है जिसका बेस पाकिस्तान है। इमरान खान को उम्मीद है अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने के बाद वह तालिबान की मदद से टीटीपी से निपट पाएंगे। हालांकि तालिबान पहले ही साफ कर चुका है कि यह पाकिस्तान का आंतरिक मामला है और उसे खुद इससे निपटना होगा।
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