पाक में चार साल में 23 हजार लोग बन मर्द से औरत, कट्टरपंथी नाराज

पााकिस्तान में ट्रांसजेंडर कानून(Transgender law) इस्लामिक कट्टरपंथी पचा नहीं पा रहे हैं। ट्रांसजेंडर पर्संस अधिकारों का संरक्षण अधिनियम 2018 में (Transgender Persons-Protection of Rights-Act) पाकिस्तान की संसद में पास किया गया था। तब से इसे लेकर बवाल मचा हुआ है। कट्टरपंथी इसे इस्लामिक कानून के खिलाफ बता रहे हैं। यह कानून, पाकिस्‍तान के ट्रांसजेंडर्स को पहचान और अभिव्‍यक्ति की गारंटी देता है। पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान में कई ट्रांसजेडर्स डॉक्टर, वकील और दूसरी अन्य अच्छी पोजिशन पर पहुंचे हैं। इमरान खान की सरकार में मिली थी ट्रांसजेंडर्स को तवज्जो। पिछले साल राजधानी इस्लामाबाद में देश के पहले प्रोटेक्शन सेंटर की शुरुआत हुई थी।

सीनेट(पाकिस्तान पॉर्लियामेंट के अपर हाउस-Senate) के अध्यक्ष सादिक संजरानी(Sadiq Sanjrani) ने सोमवार को कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम में हाल ही में प्रस्तुत संशोधनों(amendments ) पर विचार करने के लिए गठित समिति यदि आवश्यक हो तो धार्मिक विद्वानों और इस्लामी विचारधारा परिषद से विधिवत परामर्श करेगी। संजरानी ने कहा, “सीनेट कभी भी इस्लामी कानूनों के खिलाफ कुछ नहीं करेगी।” यह विवाद शरिया अदालत में चल रहा है। इसमें विरोधी पक्ष का तर्क है कि यह कानून समलैंगिक विवाह को वैध बनाने की दिशा में पहला कदम है। बता दें कि जमात-ए-इस्लामी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पाकिस्तान (फ़ज़ल, सहित धार्मिक राजनीतिक दलों के राजनेताओं) ने इस बात पर जोर दिया कि कानून इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है और इसमें तुरंत संशोधन किया जाना चाहिए। पिछले नवंबर में जमीयत ने इस कानून में संशोधन का एक बिल नेशनल असेंबली में पेश किया था।

यह युवक ट्रांसजेंडर नहीं है, बल्कि एक नॉर्मल हेल्दी पर्सन है। हालांकि लोग इसकी निंदा कर रहे हैं कि एक ट्रांसजेंडर के रूप में वहGBLT जैसे अश्लील अभियान( obscene campaign) को पाकिस्तान में लाना चाहता है। लोग इसके खिलाफ हैं।

यह हैं 23 साल की सारा गिल। पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर डॉक्टर बनकर इतिहास रचने वालीं डॉ. सारा गिल मीडिया की सुर्खियों में बनी रहती हैं। सारा कराची यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की फाइनल परीक्षा पास करने में सफल रही थीं। वह ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए रोल मॉडल हैं। लोगों ने कहा कि पाकिस्तान आगे बढ़ रहा है। जिस तरह का पाकिस्तान हम देखना चाहते हैं।

ये हैं निशा राव। ये मास्टर्स इन लॉ प्रोग्राम (एलएलएम) करने के बाद एमफिल में प्रवेश पाने वाली पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर छात्रा बनी थीं। यह मामला पिछले साल मीडिया की सुर्खियों में आया था। लोगों ने लिखा था- निशा ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए प्रेरणा हैं। MORE POWER TO HER

पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार एक ट्रांसजेंडर महिला बबली मलिक ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के मंच पर अपने समुदाय की बात रखी थी।

बता दें कि रूढ़िवादी राजनेता दावा करते हैं कि इस कानून के लागू होने के यानी 2018 के बाद से 23,000 से अधिक लोगों ने अपने लिंग( changed their genders) बदल लिए हैं। कट्टरपंथियों का तर्क है कि कानून आधिकारिक दस्तावेजों पर पुरुषों को अपने लिंग को महिला और महिलाओं को पुरुष में बदलने की अनुमति देगा गलत है।

 

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