शायद ही किसी को संशय हो कि नेपाल बॉर्डर से सटे डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र में गठबंधन और भाजपा ही सीधी लड़ाई में हैं। सामान्यत: जातिगत व धार्मिक समीकरण ही मतदाताओं का रुख तय कर रहे हैं। यहां मुस्लिमों में भाजपा स्वीकार्य नहीं है, वहीं ब्राह्मण भाजपा के पक्ष में अंगद की तरह पैर जमाए हैं। यह दोनों समुदाय इस सीट पर निर्णायक भूमिका में हैं। हां, व्यक्तिगत संबंधों के चलते कुछ मतदाता इधर से उधर जरूर हो रहे हैं। इस क्षेत्र की सिफत यह भी है कि शहरी रिहायश में यादवों का एक छोटा हिस्सा भाजपा को मिलता रहा है। कभी थोड़ा कम तो कभी थोड़ा ज्यादा। स्थानीय कद्दावर नेताओं का भितरघात भी जगजाहिर है। यही वजह है कि पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि मौजूदा सांसद जगदम्बिका पाल जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे या नहीं।
भाजपा ने यहां से जगदम्बिका पाल को प्रत्याशी बनाया है। सपा-बसपा गठबंधन ने आफताब आलम पर दांव लगाया है। वहीं, कांग्रेस ने भाजपा से टिकट न मिलने से निराश डॉ. चंद्रेश उपाध्याय को मैदान में उतारा। जगदम्बिका पाल पहली बार वर्ष 2009 में यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। शायद यही वजह है कि धार्मिक भावनाओं के लिहाज से मतदाताओं के बीच उनकी छवि कट्टर नहीं है। लेकिन, एनडीए के ही अंग अपना दल (एस) के एक कद्दावर नेता उनका खुलकर विरोध कर चुके हैं। इसी तरह से स्थानीय राजनीति में असरदार कुछ पूर्व मुस्लिम विधायक व सांसदों को गठबंधन प्रत्याशी आफताब आलम नहीं सुहा रहे हैं। लेकिन, ब्राह्मण मतदाताओं की यह आम धारणा है कि कांग्रेस ने डॉ. चंद्रेश उपाध्याय को एक खास रणनीति के तहत मैदान में उतारा है। ताकि, भाजपा की सीटें कम हो सकें और यह धारणा कांग्रेस के खिलाफ असर करती हुई दिख रही है। खास बात यह है कि यहां से स्वर्गीय धनराज यादव कई बार भाजपा के टिकट से विधायक चुने गए, जिसके चलते यादवों के एक हिस्से पर अभी भी भाजपा का प्रभाव महसूस किया जा सकता है।
कहीं विकास तो कहीं सम्मान मुद्दा
कपिलवस्तु विधानसभा क्षेत्र के पंडितपुर चौराहे पर मिले बलदेव उपाध्याय कहते हैं कि भाजपा सरकार में हमारे यहां मेडिकल कॉलेज बन रहा है। सड़कें अच्छी की जा रही हैं। इसलिए हमें भाजपा का साथ न देने की कोई वजह नहीं दिख रही है। वह कहते हैं कि हम अच्छी तरह से जानते हैं कि कांग्रेस ने वसीम के स्थान पर डॉ. चंद्रेश को क्यों प्रत्याशी बनाया। किसान विष्णु चौरसिया और रामबहादुर जाट भी उनसे सहमत थे। इसी चौराहे पर मिले राजमन गौतम और धर्मेंद्र गौतम कहते हैं कि उनकी बिरादरी की पहली पसंद गठबंधन प्रत्याशी ही है। क्योंकि, बहिनजी ने हमें सम्मान से जीने लायक बनाया है।
नहीं भूले अखिलेश के काम
पिपरहवा में मिले अलीमुद्दीन कहते हैं कि उनके गांव में अखिलेश सरकार ने बहुत काम कराए। पूरे गांव में रात में घूम लो, पैर में कचरा नहीं लगेगा। आरसीसी रोड बनाईं। गांव के सामने ही विश्वविद्यालय दिया, जिससे रोजगार के मौके पैदा हो रहे हैं। अब्दुल रसीद कहते हैं कि अखिलेश यादव ने युवाओं को आगे बढ़ने के अवसर भी दिए हैं। इसलिए सपा की वजह से गठबंधन प्रत्याशी के साथ हैं।
गौरा बाजार में जाना : कौन-कहां
शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र के गौरा बाजार में चौबेजी की दुकान पर गर्मागर्म राजनीतिक बहस हुई। पंचगुलाम गौतम और ओमप्रकाश गौतम कहते हैं कि हमेशा से हाथी के साथ रहे हैं, अब पार्टी बदलने से क्या फायदा। संजय चौबे उनसे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। कहते हैं कि जब से मोदी सरकार आई है, गैस सिलिंडर लेने के लिए लाइन नहीं लगानी पड़ती। सार्वजनिक निर्माण कार्यों में भी गुणवत्ता देखने को मिल रही है। विजय कुमार गौड़ स्वीकार करते हैं कि सुधार हुआ है। साथ ही कहते हैं कि लेखपाल और पंचायत सेक्रेटरी का भ्रष्टाचार तो कोई सरकार खत्म नहीं कर सकती। राजेंद्र चौधरी अभी दुविधा में हैं कि किस तरफ जाएं। कहते हैं समय आने पर तय करेंगे।
अब कैसे बदल दें पार्टी
बांसी विधानसभा क्षेत्र के ककरही चौराहे पर मिले फूलचंद यादव कहते हैं कि उनके गांव में उनकी जाति के काफी लोग भाजपा को भी पसंद कर रहे हैं। लेकिन, बहुतायत गठबंधन के साथ ही है। बुजुर्ग रामदेव लोधी और भग्गल लोधी कहते हैं कि वर्षों से भाजपा को ही वोट दे रहे हैं। अब कैसे बदल दें पार्टी।
युवाओं में मोदी ही मोदी
शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र के चिल्हियाबाजार चौराहे से 6-7 किलोमीटर की दूरी पर है कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. चंद्रेश उपाध्याय का गांव। चौराहे पर चाय की दुकान चलाने वाले राजकुमार गुप्ता कहते हैं कि यहां कांग्रेस को वोट मिलेगा। बढ़नी के प्रह्लाद पांडे कहते हैं कि उनके यहां तो कांग्रेस का कोई जोर नहीं दिखता। टक्कर सीधे भाजपा और गठबंधन में है। सेहूरा के ग्राम प्रधान नितीश मिश्रा, मनोज सिंह और योगेश शुक्ला भाजपा को जीतता हुआ देख रहे हैं। युवा रितेश पांडेय की मानें तो उनके इलाके में मोदी का ही नाम चल रहा है। बीएससी के छात्र शनि मधेशिया कहते हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक ने युवाओं को जोश में भर दिया है। वे भाजपा को ज्यादा ठीक मानते हैं।
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