ब्रज की सांस्कृतिक विरासत को संवारने की कवायद
उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद की योजना साकार होती नजर आएगी
प्रमुख संवाददाता
यूनिक समय/ मथुरा। ब्रज की सांस्कृतिक विरासत को संवारने की उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद की योजना कल्पना जल्द साकारा होती नजर आएगी। देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालु-पर्यटकों के सामने पंडा-पुरोहित अब ठेठ ब्रजवासी के रूप में उनका राधे- राधे बोलकर स्वागत करेंगे। इतना ही नहीं प्रशिक्षण प्राप्त पंडा-पुरोहित ब्रज की वेशभूषा में तो होंगे ही, उन्हें वृंदावन की भौगोलिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत की भी ट्रेनिंग दी जाएगी। ताकि बाहर से आने वाले श्रद्धालु- पर्यटकों के सामने वे वृंदावन और यहां के तीर्थस्थलों, मंदिर-देवालयों का तथ्यात्मक ब्यौरा रख सकें।
उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नागेंद्र प्रताप का कहना है कि देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालु-पर्यटकों को ब्रज की सांस्कृतिक विरासत की जानकारी देने के लिए विशेष कार्ययोजना बना रही है। इसकी शुरूआत वृंदावन से होगी। वृंदावन के मंदिर, देवालयों के सेवायत, इतिहासवक्ता, संस्कृति से जुड़े विद्वान और सामाजिक परिवेश का भान रखने वाले लोगों की ग्यारह सदस्यीय समिति का गठन कर चुकी है। इसके बाद शहर के एक हजार पंडा-पुरोहितों को अतिथि सत्कार के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें हर मंदिर, देवालय, आश्रम व साधकों के साथ भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं पर आधारित तथ्यों से रूबरू करवाया जाएगा। इसके लिए एक बुकलेट भी तैयार करवाई जा रही है, जो पंडा-पुरोहितों के अध्ययन के लिए होगी। प्रशिक्षण प्राप्त पंडा-पुरोहितों को ही श्रद्धालु- पर्यटकों को मंदिर, देवालयों व अन्य धार्मिक, ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करवाने का अधिकार होगा।
शुरूआत में वृंदावन के एक हजार पंडा, पुरोहितों को प्रशिक्षित कर उन्हें आइकार्ड जारी किए जाएंगे। ताकि बाहर से आने वाले श्रद्धालु-पर्यटकों को ब्रज की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत का आभास हो सके।
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