यूएन में कश्मीर पर भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, पाक को मिला सिर्फ चीन का साथ

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाक को करारा झटका
पचास साल बाद फिर हुई यूएन में कश्मीर को लेकर चर्चा
नई दिल्ली।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने को लेकर अनौपचारिक बैठक खत्म हो गई। बैठक में भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है। पाकिस्तान के दोस्त चीन की पहल पर कश्मीर मुद्दे पर बंद कमरे में हुई यह चर्चा भारत के पक्ष में रही। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की नापाक कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकीं। पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से सिर्फ चीन का ही साथ मिल पाया। बैठक में रूस हमेशा की तरह भारत के पक्ष में नजर आया। रूस ने कश्मीर को लेकर द्विपक्षीय बातचीत से ही मुद्दे को सुलझाने का समर्थन किया। वहीं, चीन ने पाक की भाषा में कहा, कश्मीर के हालात तनावपूर्ण और खतरनाक हैं। कश्मीर मुद्दे पर चीन ने एकतरफा कार्रवाई से बचने की सलाह दी। सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से 5 स्थायी और 10 अस्थायी हैं। स्थायी सदस्यों में चीन को छोड़ बाकी फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ने पहले ही कश्मीर को आंतरिक मसला बताते हुए इसे द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझाने की बात कही है। वहीं, इस मुद्दे पर निराश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बैठक से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ टेलीफोन पर कश्मीर मसले पर 12 मिनट तक बातचीत की।

संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब कश्मीर मुद्दे पर कोई बैठक हुई है। इससे पहले 1971 में यूएनएससी की पहली बैठक हुई थी, जो न तो बंद दरवाजे के पीछे थी और न ही सुरक्षा परिषद् के अधिकांश सदस्य देशों ने पाकिस्तान का समर्थन करने से मना किया था। यूएनएससी में 1969-71 में ‘सिचुएशन इन द इंडिया/पाकिस्तान सबकॉन्टिनेंट’ विषय के तहत कश्मीर का मुद्दा उठाया गया था।

भारत बोला, कश्मीर में आतंक फैला रहा पाक
बैठक से इतर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना भारत का आंतरिक मामला है। कश्मीर पर लिए गए फैसले से बाहरी लोगों को कोई मतलब नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, जेहाद के नाम पर पाकिस्तान हिंसा फैला रहा है। सभी मसले बातचीत से सुलझाए जाएंगे। हिंसा किसी भी मसले का हल नहीं है। अकबरुद्दीन ने कहा, इस मसले पर बातचीत से पहले पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाना बंद करना होगा।

अकबरुद्दीन ने कहा, जम्मू-कश्मीर पर फैसला विकास के लिए किया गया है। हम धीरे-धीरे वहां से पाबंदी हटा रहे हैं। अकबरुद्दीन ने कहा कि उन्होंने कहा कि हम अपनी नीति पर हमेशा की तरह कायम है। आतंकमुक्त माहौल में शांति से मसले को द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझाया जाएगा।
सुरक्षा परिषद की बैठक से पहले इमरान ने ट्रंप से की बातचीत
कश्मीर के मसले पर सारे पैंतरे विफल होने के बाद पाकिस्तान अब एक बार फिर अमेरिका को मनाने में जुट गया। कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद कमरे में होने वाली चर्चा से ठीक पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ फोन पर लंबी बातचीत की। इमरान ने कश्मीर और अफगानिस्तान पर चर्चा के लिए ट्रंप को फोन किया था।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, प्रधानमंत्री इमरान ने कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक को लेकर ट्रंप को ‘विश्वास’ में लिया है। इस दौरान इमरान ने कश्मीर पर पाकिस्तान की चिंता से अमेरिकी राष्ट्रपति को अवगत कराया। दोनों नेताओं के बीच ‘सौहार्र्दपूर्ण वातावरण’ में बातचीत हुई। दोनों नेता कश्मीर मुद्दे पर एक दूसरे के संपर्क में रहने को लेकर सहमत हुए हैं। पीएम इमरान कई देशों के संपर्क में हैं और कश्मीर मुद्दे पर वैश्विक समर्थन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच में से चार स्थायी सदस्य देशों से बातचीत की है। इसी क्रम में फ्रांस के राष्ट्रपति से भी चर्चा करेंगे।

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