यूनिक समय, नई दिल्ली। हम रोज लगभग 25 000 बार सांस लेते हैं। लेकिन अधिकतर लोग गलत तरीके से सांस लेते हैं। सांस या तो तेज होती या धीमी। नार्मल सांस लेना 12 से 20 होना चाहिए। आराम की स्थिति में प्रति पांच से सात मिनट हो सकती है। हमारे सांस में जितनी ज्यादा ऑक्सीजन रहती है, उतना ही एनर्जी बनी रहती है। सांस अगर कमजोर है, तो एनर्जी भी कम मिलती है और कम एनर्जी का मतलब है, ज्यादा बीमार रहना।
पेट से सांस लेना- पेट से सांस लेने से तनाव कम होता है और बीपी कम हो सकता है। पेट की सांस आपको सांस पर ज्यादा ध्यान देने के लिए उत्साहित करती है। यह हेल्प करता है कि कब-कब आप तनाव में हैं।
गहरी सांस लेना- जब आप तनाव में हों तो अपनी सांस को कंट्रोल करने के लिए रोजाना गहरी सांस लें
एक नथुने से सांस लेना- एक-एक नथुने से सांस लेना आराम के साथ साथ हार्ट की स्पीड को कम करने में हेल्प कर सकता है।
शेर की सांस- अगर आपको तनाव के कारण छाती या चेहरे में जकड़न महसूस होती है, तो यह एक्सरसाइज तनाव को दूर कर सकता है।
हमिंग बी सांस- इस सांस की तकनीक को भ्रामरी के नाम से भी जाना जाता है। ये आपको शांत करने के साथ साथ तनाव को दूर कर सकता है। इसके अलावा निराशा, गुस्सा और टेंशन को कम कर सकता है।
एक स्टडी के आधार पर सांस लेने के तरीके में अगर थोड़ा सा भी बदलाव होता है तो शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है। इन बीमारियों में ब्लड प्रेशर, अनिद्रा, दिल से जुड़ी बीमारी और शुगर जैसे रोग शामिल हैं।
कई लोगों में आदत होती है वो कई बार मुंह से सांस लेते हैं। ऐसा करना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। जबकि नाक से सांस लेना फायदेमंद माना जाता है। लेकिन मुंह से सांस लेने से हवा फिल्टर नहीं होती है और इसके साथ ही ओवर ब्रीदिंग होती है। जिससे खून में ऑक्सीजन और कार्बन-डाईऑक्साइड का लेवल खराब हो जाता है। ब्लड का ढऌ लेवल भी बिगड़ जाता है जो कई तरह की सेहत से जुड़ी परेशानी होती है।
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