श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में सेना के ठिकानों पर ड्रोन हमले को लेकर केंद्र सरकार हाई अलर्ट पर आ गई है। आज शाम 4 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्चस्तरीय मीटिंग बुलाई है। वहीं, मामले की जांच NIA को सौंपी गई है। धारा 370 हटने के बाद से बौखलाए आतंकी संगठन अब ड्रोन के जरिये आतंक फैलाने की साजिश रच रहे हैं। सोमवार देर रात जम्मू के रत्नुचक इलाके के कुंजवानी में फिर संदिग्ध ड्रोन गतिविधि देखी गई। सुरक्षाबल इलाके की सर्चिंग कर रहे हैं। बता दें कि जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन के जरिये 26-27 जून की रात पांच मिनट में दो ब्लास्ट किए गए थे। पहला ब्लास्ट रात 1.37 बजे और दूसरा 1.42 बजे हुआ। डिफेंस पीआरओ के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि हादसे में एयरफोर्स के दो कर्मचारी मामूली घायल हुए थे। इसके बाद सोमवार सुबह सेना कैंप के ऊपर दो अलग-अलग जगहों पर ड्रोन दिखाई दिए थे। ये ड्रोन जम्मू के रत्नुचक और कालूचक आर्मी कैंप के ऊपर 27-28 जून की रात को देखे गए थे। लेकिन सेना की सक्रियता के कारण ये वापस लौट गए।
पीएम ने बुलाई हाईलेवल मीटिंग
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शाम 4 बजे एक हाईलेवल मीटिंग बुलाई है। हालांकि इसका एजेंडा सामने नहीं आ सका है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें जम्मू कश्मीर में एयरफोर्स बेस पर हुए ड्रोन हमले पर चर्चा हो सकती है। सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है। मीटिंग में गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहेंगे।
इस बीच गृह मंत्रालय ने ड्रोन मामलों की जांच नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी को सौंप दी है। NIA ने जम्मू कश्मीर पुलिस से इस संबंध में हुई अब तक की जांच के सभी दस्तावेज मांगे हैं। बताया जा रहा है कि ड्रोन हमले में हाई ग्रेड एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल किया गया। ये आरडीएक्स या टीएनटी हो सकते हैं।
सुरक्षाबलों की कार्रवाइयों से बौखलाए आतंकी संगठन
सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाइयों से आतंकी संगठन बौखलाए हुए हैं। माना जा रहा है कि आतंकी संगठन लश्कर और जैश अब ड्रोन के जरिये हमले करने की साजिश रच रहा है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर पिछले कुछ सालों में ड्रोन गतिविधियां बढ़ी हैं। इन ड्रोन का नियंत्रण पाकिस्तान से हो रहा है।
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