- घाटी में कर्फ्यू जैसी पाबंदियाें के चलते ईद की राैनक गायब; छिटपुट प्रदर्शन और पत्थरबाजी
- फोन बंद होने से आम लोग ही नहीं घाटी में मौजूद सुरक्षाकर्मी भी परेशान
- एनएसए अजीत डाेभाल ने श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर का हवाई दाैरा किया
- सुनिए एक सैनिक की दर्द भरी कहानी
श्रीनगर| कश्मीर में साेमवार काे बकरीद शांतिपूर्ण तरीके से मनाई गई। कुछ इलाकाें में प्रदर्शन और पत्थरबाजी की छिटपुट घटनाएं हुईं। हालांकि, कर्फ्यू जैसी पाबंदियाें के चलते त्याेहार की राैनक गायब रही। गृह मंत्रालय ने कहा कि बारामूला की जामा मस्जिद में 10 हजार लाेग पहुंचे। अब 15 अगस्त का आयोजन सुरक्षाबलों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। कहा जा रहा है कि उस दिन गृहमंत्री अमित शाह श्रीनगर के लालचौक पर तिरंगा फहराना चाहते हैं। इसे लेकर एनएसए अजीत डोभाल के साथ बैठक भी हुई। इसमें स्थानीय अफसरों ने ऐसा नहीं करने की सलाह दी है।
आप दिल्ली पहुंचकर मेरी मां को फोन कर देना, कहना मैं ठीक हूं
“सुनिए, आप दिल्ली जा रही हैं क्या? वहां पहुंचकर आपका फोन चालू हो तो प्लीज मेरी मम्मी को फोन कर दीजिएगा? उनसे कहना मैं बिलकुल ठीक हूं, वो चिंता न करें। 15 दिन पहले ही मेरे पिताजी नहीं रहे, मुझे ड्यूटी पर लौटना पड़ा। मां को मेरी चिंता हो रही होगी।” एक कागज के टुकड़े पर बादामी बाग कैंट के बाहर खड़े जवान ने अपनी मां और पत्नी का नंबर लिखकर मुझे दे दिया। जम्मू लौटकर जब फोन के सिग्नल मिले तो और मैंने उनके घर फोन किया। पता चला उस जवान का बेटा बीमार है और आगरा के आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती है। मैंने उसकी पत्नी से कहा मैं दो दिन बाद फिर लौटूंगी और उन्हें ये खबर दे दूंगी। लेकिन उनकी पत्नी ने मना कर दिया। कहा उन्हें ये सब मत बताना, वह ड्यूटी पर हैं, टेंशन हो जाएगा। 10 दिनों से घाटी में फोन बंद हैं। खामियाजा सिर्फ स्थानीय लोगों को नहीं उन्हें भी भुगतना पड़ रहा है जो वहां ड्यूटी पर तैनात हैं। हाथ में सैटेलाइट फोन है लेकिन सिर्फ इसलिए कि वह अपनी ड्यूटी पूरी कर सकें। वे नहीं जानते उनके घरों में क्या हो रहा होगा। घर के लोगों को नहीं पता कि उनके बेटे और पति कैसे हैं। जो खबरें मिल रही हैं उनमें सिर्फ स्थानीय लोगों और हालात की बात है।
कश्मीर का लालचौक सूना पड़ा है, सीआरपीएफ की तैनाती
हर साल 15 अगस्त को खास चर्चा में रहने वाला कश्मीर का लालचौक सूना पड़ा है। कर्फ्यू न होता तो आसपास के बाजार भीड़ से पटे होते। इस संवेदनशील इलाके में सीआरपीएफ के जवान 24 घंटे सुरक्षा में मुस्तैद हैं। 500 मीटर दूर से ही घेरेबंदी कर दी गई है। इस घेरेबंदी को पार करना यहां तक की इसके साथ फोटो लेना भी मना है। आमतौर पर जो लालचौक टीवी चैनलों के फ्रैम में खास जगह लेता है अब उन्हें भी ऐसा नहीं करने दिया जा रहा है। फोटो लेना है तो घेरेबंदी के बाहर से लो, वहां खड़े सीआरपीएफ जवान ने कहा। यूं तो हर साल 15 अगस्त पर लालचौक इलाका इसी चाकचौबंद सुरक्षा में रहता है लेकिन इस बार अगर अमित शाह यहां झंडा फहराते हैं तो ये बेहद खास होगा।
यूपी-बिहार के 50 हजार से ज्यादा मजदूरों को पलायन
स्थानीय लोगों को डर है कि धारा 370 हटने से उनकी परंपराओं और माहौल पर असर होगा। उनका डर बाहरी लोगों के पलायन में बदल रहा है। पिछले एक हफ्ते में 50 हजार से ज्यादा बाहरी जिनमें ज्यादातर यूपी और बिहार के मजदूर हैं, कश्मीर से जा चुके हैं। प्रशासन ने उनके लिए बकायदा टीआरसी के बाहर एक रिलीफ कैम्प बनाया था। जो इक्का-दुक्का अभी कश्मीर में मौजूद हैं वो भी बाहर निकलने की जुगत में हैं। रवि कुमार बिहार के रहने वाले हैं। 6 सालों से कश्मीर में होटल में नौकरी करते हैं। उनसे पूछा तो बोले अब उनका यहां रहना ठीक नहीं, वैसे भी उन्हें कोई काम नहीं मिलेगा यहां।
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