नई दिल्ली। सरदार वल्लभ भाई पटेल का आज जन्मदिन है. असल मायने में वो देश के सरदार थे। उनकी मजबूत संगठन और प्रशासनिक क्षमता के साथ सूझबूझ की तारीफ हमेशा की जाती है।
आज से 144 साल पहले महान क्रांतिकारी और देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्म हुआ था। पढ़िए 562 रियासतों को एकजुट करने वाले इस महान शख्सियत की जिंदगी के सफर के बारे में खास बातें।
कम लोग जानते हैं कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1948 में उप-प्रधानमंत्री पद से अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। 12 जनवरी, 1948 को उन्होंने महात्मा गांधी को पत्र लिखा था. मगर बापू से मंजूरी नहीं मिली।
इस्तीफा देते हुए उन्होंने गांधी जी को लिखा था कि ‘काम का बोझ इतना अधिक है कि उसे उठाते हुए मैं दबा जा रहा हूं। मैं समझ चुका हूं कि अब और अधिक समय तक बोझ उठाने से देश का भला नहीं होगा बल्कि इसके विपरीत देश का नुकसान होगा।’
सरदार के बड़े भाई विट्ठलभाई पटेल को कम लोग जानते होंगे। दोनों भाइयों में बाद के दौर में मतभेद हो गए थे। विठ्ठलभाई ने अपनी संपत्ति का तीन चौथाई हिस्सा सुभाष चंद्र बोस को दे दिया।
विठ्ठलभाई पटेल: लाइफ एंड टाइम्स नाम से एक किताब प्रकाशित हुई। इसमें बताया गया कि सरदार पटेल और उनके बड़े भाई विठ्ठलभाई कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। लेकिन विठ्ठल अपने छोटे भाई से दूर होते चले गए। बल्कि सुभाष चंद बोस के साथ मिलकर उन्होंने गांधी जी के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे।
उन दिनों सांप्रदायिक उपद्रवों से निपटने के तरीके के सवाल पर केंद्रीय मंत्रिमंडल में मतभेद था। शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद और उप प्रधानमंत्री सह गृहमंत्री सरदार पटेल आमने-सामने थे। विभिन्न मुद्दों पर पटेल की अपनी अलग राय रहती थी।
पटेल पढ़ाई में काफी तेज थे। 36 साल की उम्र में सरदार पटेल वकालत पढ़ने के लिए इंग्लैंड गए। उनके पास कॉलेज जाने का अनुभव नहीं था फिर भी उन्होंने 36 महीने के वकालत के कोर्स को महज़ 30 महीने में ही पूरा कर लिया।
सरदार पटेल की पत्नी झावेर बा कैंसर से पीड़ित थीं। उन्हें साल 1909 में मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान ही उनका निधन हो गया।
किसान परिवार में जन्मे पटेल अपनी कूटनीतिक क्षमताओं के लिए भी याद किए जाते हैं। आजाद भारत को एकजुट करने का श्रेय पटेल की सियासी और कूटनीतिक क्षमता को ही दिया जाता है।
बतौर उप-प्रधानमंत्री सरदार पटेल 12 नवंबर, 1947 को जूनागढ़ पहुंचे। उन्होंने भारतीय सेना को इस क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने के निर्देश दिए और साथ ही सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया था।
सरदार पटेल के नेतृत्व का ही कमाल था कि देश की 562 रियासतों को भारत में शामिल किया गया। देश की तत्कालीन 27% आबादी इन रियासतों में काम करती थी।
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