नई दिल्ली। साध्वियों के साथ दुष्कर्म के दोषी डेरा प्रमुख राम रहीम को पिछले साल 25 अगस्त को जब सुनारिया जेल भेजा गया था, तब उसका वजन 105 किलो था। लेकिन अब 12 महीनों में उसका वजन 92 किलो ही रह गया है। चेहरे की चमक फीकी पड़ी गई है। दाढ़ी भी सफेद हो चुकी है। जेल के सूत्रों ने भास्कर को बताया कि वजन घटने की वजह चिंता है या व्यायाम, यह खुद बाबा को पता है। गौरतलब है कि बाबा को सीबीआई कोर्ट ने पिछले साल 28 अगस्त को 10-10 साल की सजा सुनाई थी।
बता दें कि सुबह पांच से रात दस बजे सोने तक राम रहीम का रूटीन एक सामान्य कैदी की तरह होता है। उसकी बैरक करीब आधा एकड़ में है। चारों तरफ आठ फीट ऊंची दीवार है। कोठरी करीब 15 फीट लंबी और 10 फीट चौड़ी है। वह सुबह पांच से साढ़े पांच बजे के बीच कोठरी से निकलकर एक घंटे तक कॉरिडोर में घूमता है। योग करता है।
दूसरे कैदियों की तरह बाबा को सुबह साढ़े छह बजे अपनी बैरक के लॉन में भेज दिया जाता है, जहां उसने सब्जियां उगाई हुई हैं। गुरमीत की उगाई सब्जियों को जेल की मेस में भेजा जाता है। वह आलू, भिंडी, पालक, घीया, टमाटर और ग्वार की फलियां उगा चुका है। उसे प्रतिदिन 20 रुपए मेहनताना मिलता है। साढ़े 8 बजे ब्रेकफास्ट के बाद किसी केस में सुनवाई है तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में उसका आधा दिन गुजर जाता है। खाली वक्त में किताबें पढ़ता है। आज-कल उसे मुंशी प्रेमचंद की कहानियां अच्छी लगती हैं। उसे बैडमिंटन खेलने का भी शौक है। कोठरी में उसके साथ बंद नंबरदार ही बैडमिंटन खेलते हैं।
गुरमीत को जब कैंटीन से सामान लेना हो तो मूवमेंट के वक्त बाकी कैदियों को उनकी बैरक में बंद कर दिया जाता है। कैंटीन के कर्मियों और सुरक्षाकर्मियों के अलावा उसे कोई नहीं देख पाता। गौरतलब है कि बाबा ने अपनी मां, पत्नी, बेटा, बहूदो बेटियों, दो दामाद, डेरे की डिप्टी मैनेजर शोभा गेरा और हनीप्रीत का नाम मुलाकातियों में लिखवाया था।
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