आखिरकार चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने येडियुरप्‍पा !

नई दिल्ली। बीएस येडियुरप्‍पा ने चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. आज सुबह 10 बजे उन्होंने राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात करके सरकार बनाने का दावा पेश किया था. इस दौरान बीजेपी के वरिष्‍ठ नेताओं के साथ ही कांग्रेस के निलंबित विधायक रोशन बेग शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए.

हालांकि मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेते ही येडियुरप्‍पा के एक आदेश ने सरकारी महकमे में खलबली मचा दी है. दरअसल, मुख्‍य सचिव ने सभी उपसचिवों को पत्र लिखकर कुमारस्‍वामी द्वारा जुलाई में दिए गए सभी आदेशों को रोकने की हिदायत दी है.

इससे पहले राज्यपाल से मुलाकात के बाद येडियुरप्‍पा ने कहा था, ‘मैंने गवर्नर से अभी मुलाकात की है. आज शाम 6:30 बजे मैं मुख्यमंत्री पद की शपथ लूंगा.’ कर्नाटक विधानसभा में हुए फ्लोर टेस्ट में भारतीय जनता पार्टी ने वो जादुई आंकड़ा छू लिया है जो कर्नाटक में सत्ता हासिल करने के लिए जरूरी होता है. फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को 99 वोट मिले तो वहीं बीजेपी को 105 वोट मिले थे.

अभी फंसा है पेंच
शपथ लेने के बाद येडियुरप्‍पा को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा. फिलहाल देखा जाए तो बीजेपी के पक्ष में ज्यादा विधायक हैं. लेकिन स्पीकर के.आर. रमेश ने अभी भी पेंस फंसा रखा है. उन्होंने गुरुवार को कांग्रेस के तीन विधायकों को दलबदल कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया है. ये तीनों अब अगले विधानसभा चुनाव तक यानी साल 2023 से पहले चुनाव नहीं लड़ सकते. अगर स्पीकर बाक़ी बचे विधायकों को डिसक्वालीफाई नहीं करते हैं तो फिर बहुमत साबित करने के लिए 110 या 111 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में बीजेपी के लिए बहुमत साबित करना आसान नहीं होगा.

मंत्रिमंडल को लेकर माथापच्ची
बीजेपी के लिए मंत्रिमंडल तैयार करना मुश्किल चुनौती होगी. 34 विधायकों को कैबिनेट में जगह मिल सकती है. इन पदों के लिए बीजेपी में करीब 60 दावेदार हैं. इसके अलावा 10 बागी विधायकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल करना होगा. ऐसे में पार्टी के कई सीनियर नेता नाराज हो सकते हैं.

14 महीने चली गठबंधन सरकार
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने 14 महीने 116 विधायकों के साथ सरकार चलाई. 1 जुलाई को कांग्रेस के दो विधायकों के इस्तीफे के बाद पिछले 23 दिन से राज्य में सियासी उठापटक का माहौल था. राज्य में कुल 15 विधायकों के इस्तीफे के बाद 18 जुलाई को फ्लोर टेस्ट की तारीख तय हुई थी. लेकिन बार-बार हंगामे के कारण फ्लोर टेस्ट नहीं हो सका. फ्लोर टेस्ट में हारने के बाद एचडी कुमारस्वामी ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया.

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