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नई दिल्ली। बिहार में एक ऐसा ‘नटवरलाल’ अधिकारी पकड़ा गया है जो एक या दो नहीं बल्कि तीन जगह एक साथ सरकारी नौकरी कर रहा था. इतना ही नहीं वो इन तीनों विभागों से तनख्वाह (सैलरी) भी ले रहा था. उसके इस फर्जीवाड़े की किसी को कानों कान खबर नहीं लगी और वर्षों तक उसने शातिराना अंदाज से काफी पैसे बनाए. आरोपी इंजीनियर सुरेश राम ने बकायदा 30 साल तक सरकारी नौकरी की और बराबर सैलरी ली. उससे भी आश्चर्यजनक यह कि उसे तीनों ही पदों पर समयबद्ध (समय-समय पर) प्रमोशन भी मिलता रहा. लेकिन आखिर में आरोपी इंजीनियर का ये फर्जीवाड़ा पकड़ा गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार आरोपी इंजीनियर सुरेश राम पटना जिले के बभौल गांव का रहने वाला है. वृहद वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (CFMS) ने सहायक इंजीनियर के फर्जीवाड़े को पकड़ लिया और उसकी पोल खुल गई.
दरअसल, CFMS में बिहार सरकार के हर कर्मचारी को अपना आधार, जन्मदिन और पैन डिटेल भरना होता है. आरोपी सुरेश राम ने जब अपना डिटेल भरा तो उसके फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया.
तीन जगहों से ले रहा था वेतन
CFMS प्रणाली के तहत वेतन प्रक्रिया में सुरेश राम नाम का तीन व्यक्ति सहायक अभियंता के रुप में कार्यरत दिखा. एक सुरेश राम जल संसाधन विभाग बांका में सहायक अभियंता, दूसरा सुरेश राम सुपौल जिले में सहायक अभियंता और तीसरा सुरेश राम किशनगंज भवन प्रमंडल में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत पाया गया.
फरार हुआ फर्जीवाड़ा करने वाला इंजीनियर
खास बात यह है कि तीनों जगह सुरेश राम का नाम, जन्म तिथि, पिता का नाम, कोटि, उंचाई, शरीर का पहचान, स्थायी पता समान पाए गए. मामला सामने आने के बाद सरकार के उपसचिव चंद्रशेखर प्रसाद सिंह ने सुरेश राम को सभी प्रमाण पत्र लेकर पटना मुख्यालय 22 जुलाई को पेश होने को कहा. इसके बाद सुरेश राम वहां आया लेकिन मूल प्रमाण पत्र लेकर आने की बात कहकर फरार हाे गया.
बता दें कि सुरेश के साथी मधुसूदन कुमार कर्ण की शिकायत के आधार पर किशनगंज पुलिस स्टेशन में पिछले हफ्ते एफआईआर दर्ज की गई थी. कर्ण भवन निर्माण विभाग में कार्यकारी अभियंता है.
रिटायर होने वाला था सुरेश
जानकारी के अनुसार सुरेश राम कुछ साल बाद रिटायर होने वाला था. लेकिन, एफआईआर दर्ज होने के बाद से वो फरार है. एफआईआर के मुताबिक सहायक इंजीनियर सुरेश राम को सबसे पहले राज्य सड़क निर्माण विभाग में 20 फरवरी, 1988 को पटना में नियुक्त किया गया था.
अगले साल 28 जुलाई, 1989 को उसे जल संसाधन विभाग में नौकरी मिली. इसी साल सुरेश राम को जल संसाधन विभाग में ही एक और नौकरी मिल गई. उसे सुपौल जिले में तैनात किया गया. सड़क निर्माण विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘सुरेश एक के बाद एक पोस्ट से रिटायर हो गया होता, अगर सरकारी कर्मचारियों की सैलरी के लिए CFMS नहीं आया होता.’
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