
यूनिक समय, मथुरा। गरुड़ पुराण एक प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथ है जिसके अंदर भगवान विष्णु ने पक्षीराज गरुड़ जी को विभिन्न प्रकार की योनियों में जन्म लेने के पापों के बारे में विस्तार से बताया है। भगवान कहते हैं कि प्राणी अपने सदकर्म एवं दुष्कर्म के फलों की विविधता का अनुभव करने के लिए इस संसार में जन्म लेता है। पाप करने वाले व्यक्ति को तुच्छ पशुओं की योनियों में जन्म लेना पड़ता है। और पुण्य करने वाले व्यक्ति को पुन: मनुष्य जीवन मिलता है। और वह ऊंचे कुल में जन्म लेता है। गरुड़ पुराण में इस प्रकार से पापों का वर्णन किया गया है। और उनके दंड स्वरुप व्यक्ति के अगले जन्म में मिलने वाली योनि के बारे में बताया है। अर्थात उसके द्वारा किए गए पापों के फलस्वरुप उसे अगले जन्म में कौन से जानवर का शरीर मिलेगा इसके बारे में बताया गया है। तो आइए जानते हैं कि गरुड़ पुराण के अनुसार किस पाप को भोगने के लिए आत्मा को किस योनि में जन्म लेना पड़ता है।
ब्राह्मण की हत्या अथवा किसी ज्ञानी व्यक्ति की हत्या करने वाले मनुष्य को अगले जन्म में मृग, अश्व तथा ऊंट की योनि प्राप्त होती है। जो मनुष्य स्वर्ण तथा सोने के आभूषणों की चोरी करता है वह अगले जन्म में क्रमी-कीट और पतंगे की योनि में जन्म लेता है।
दूसरे की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने वाले मनुष्य को अगले जन्म में अरंड तथा निर्जन वन में रहने वाले ब्रह्म राक्षस की योनि प्राप्त होती है।
जो मनुष्य वृक्षों की, सुगंधित दृव्यों की चोरी करता है उसे छंछुदर की योनि प्राप्त होती है।
जो मनुष्य दूसरे के धान्य की चोरी करता है अर्थात दूसरों का अनाज चोरी करता है वह दूसरे जन्म में चूहे की योनि को प्राप्त करता है।
जो मनुष्य वृक्षों की, सुगंधित दृव्यों की चोरी करता है उसे छंछुदर की योनि प्राप्त होती है।
दूसरों का वाहन चोरी करने वाले को अगले जन्म में ऊंट की योनि प्राप्त होती है।
जो व्यक्ति दूसरों के फल चुराकर खाता है उसे बंदर की योनि प्राप्त होती है।
जो मनुष्य बिना मंत्रों का उच्चारण किए अथवा बिना ईश्वर का ध्यान और स्मरण किए भोजन करता है उसे कौआ की योनि में जन्म लेना पड़ता है।
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