खुलासा: नामी रियल स्टेट कंपनी ‘चपरासी’ के नाम चल रही थी

नई दिल्ली। रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली ग्रुप ने मकान खरीदारों के साथ की गई धोखाधड़ी के मामले में बड़े चौंकाने वाले खुलासे सामने आए है. फॉरेंसिक ऑडिटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि आम्रपाली की हालत खराब होने के पीछे सबसे बड़ा कारण घर खरीदारों के 3,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी है. आपको बता दें कि इससे पहले ऑडिटर्स ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि आम्रपाली ने 500 से अधिक लोगों के नाम पर महज एक रुपये, पांच रुपये और 11 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से पॉश फ्लैटों की बुकिंग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने मकान खरीदारों के पैसों के दुरुपयोग का पता लगाने के लिए सात महीने पहले फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश जारी किया था।
अब आगे क्या- मकान के हजारों खरीदारों की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू यू ललित ने वकील एम. एल. लाहोटी को गुरुवार को जानकारी दी कि ऑडिटरों ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और न्यायालय 9 अप्रैल को उसकी पड़ताल करेगा. (ये भी पढ़ें-SBI ग्राहक ध्यान दें! एक मई से शुरू होगी ये नई सर्विस, अब सीधा मिलेगा आपको फायदा!)

  • क्या है रिपोर्ट में खास
    आम्रपाली प्रमोटर्स ने गलत तरीके से लगभग 3000 करोड़ रुपए डाइवर्ट किए है.
  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त फॉरनसिंक ऑडिटरस ने रिपोर्ट दाखिल की है.
  • आम्रपाली प्रमोटरों ने हजारों बायर्स द्वारा लिए गए पैसे को गलत इस्तेमाल किया है.
  • 100 शेल कंपनिया और कम्पनी के चपरासी समेत कई लोगो को बनाया गया अधिकारीऑ
  • सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितम्बर में आम्रपाली प्रमोटर्स के अकाउंट्स का फॉरेन्सिक ऑडिट का आदेश दिया था .

सुप्रीम कोर्ट में जमा की गई 2,000 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि आम्रपाली ग्रुप ने पैसों की हेराफेरी के लिए 100 से भी अधिक शैल कंपनियां बनाईं. ये कंपनियां कंपनी के अधिकारियों के साथ ही एक चपरासी के नाम पर भी खोली गई थी, जिसे कंपनी में एक वरिष्ठ पद पर बैठाया गया था. इन पैसों का इस्तेमाल कंपनी के निदेशकों, अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों ने व्यक्तिगत फायदे के लिए किया.(ये भी पढ़ें-म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वाले जान लें ये नियम! एक अप्रैल से घट सकता है आपका मुनाफा)
सच साबित हुई ये चिंता- सुप्रीम कोर्ट ने पहले से ये आशंका जाहिर की थी कि आम्रपाली ग्रुप मकान खरीदारों का पैसा डकार गया है.ऑडिटर्स ने कोर्ट को संदिग्ध और बेनामी होमबायर्स की एक सूची भी सौंपी है, जिनके नाम पर लाखों के फ्लैट बेहद कम कीमत पर बुक किए गए.

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