नई दिल्ली। पाकिस्तानी रुपये में जारी गिरावट थमने का नाम ही नहीं ले रही है. इसकी मार सबसे ज्यादा आम आदमी झेल रहा है. गिरते रुपए के कारण पाकिस्तान में महंगाई बहुत बढ़ रही है। Pakistan Bureau of Statistics के मुताबिक वहां का कन्ज्यूमर प्राइज इंडेक्स 9 फीसदी के ऊपर बना हुआ है जिससे लोगों की खरीदने की क्षमता कम हो रही है. वहीं, अब पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक (स्टेट ऑफ पाकिस्तान) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर महंगाई को नहीं रोका गया तो देश के आर्थिक हालात काबू से बाहर हो जाएंगे. आपको बता दें कि SBP ने ब्याज दरें बढ़ाकर 12.25 फीसदी कर दी है. ये कदम महंगाई को काबू करने के लिए ही उठाया गया है.
पाकिस्तानी रुपये में फिर शुरू हुई ‘तबाही’- अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये में फिर से तेज गिरावट देखने को मिल रही है. गुरुवार को पाकिस्तानी रुपया फिर से अपने अब तक के निचले स्तर पर 153.50 रुपये पर आ गया है. आपको बता दें कि पिछले महीने यानी मई में पाकिस्तान के रुपया दुनिया में सबसे बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ था. इससे पहले पाकिस्तान में ईद की छुट्टी के चलते पिछले हफ्ते लंबे समय तक रुपये में कारोबार बंद था।
कमर तोड़ महंगाई से बेहाल हुए पाकिस्तानी-पाकिस्तान रुपये पर लगातार दबाव बना हुआ है. इसी वजह से पाकिस्तान में प्याज के दाम 77.52 फीसदी, तरबूज 55.73 फीसदी, टमाटर 46.11 फीसदी, नींबू 43.46 फीसदी और चीनी 26.53 फीसदी मंहगी हो गई.
लहसुन 49.99 फीसदी, मूंग 33.65, आम 28. 99 और मटन के दाम 12.04 प्रतिशत बढ गए. अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई.
ईंधन में गैस के दाम में 85.31 प्रतिशत पेट्रोल 23.63 प्रतिशत हाई स्पीड डीजल की कीमत में 23.86 फीसदी की तेजी आई है. बस का किराया 51.16, बिजली 8.48 और मकान किराये में 6.15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है.
पाकिस्तान में दूध के दाम 180 रुपए प्रति लीटर है. सेब 400 रुपये किलो, संतरे 360 रुपये और केले 150 रुपये दर्जन बिक रहे हैं. पाकिस्तान में मटन 1100 रुपये किलो तक पहुंच गया है.
SBP की चेतावनी-पाकिस्तान में अगले वित्त वर्ष में महंगाई अपने चरम पर होगी. वहां के शीर्ष बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने इसे लेकर चेतावनी जारी की है.
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान द्वारा जारी यह चेतावनी इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) की ओर से पाकिस्तान को मिल रहे 6 अरब डॉलर के पैकेज के दौरान जारी की गई. ऐेसे में इस पैकेज को लेकर और जटिल हालात बन सकते हैं. माना जा रहा है कि इससे ब्याज दर अधिक हो जाएगी.
हालात और ख़राब क्यों हुए-इस पर फ़ाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फ़ोर्स (एफ़आईटीएफ़) ने भी मुश्किलें ही बढ़ाई हैं जो आतंकवादी और मनी लॉन्डरिंग के लिए पाकिस्तान पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं. लेकिन मसला सबसे ज़्यादा ख़राब शायद इमरान ख़ान की सियासी टीम ने ख़ुद किया.
2018 के आम चुनावों में कामयाबी के बाद आईएमएफ़ से छह अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज लेने में आठ नौ महीने की देर कर दी जिस से हालात और ज़्यादा ख़राब हुए.
आईएमएफ से छह अरब डॉलर बेहद सख़्त शर्तों के साथ मिलेंगे लेकिन अर्थव्यवस्था संभलते-संभलते ही संभलेगी।
Leave a Reply