मथुरा: आगरा कैनाल का पानी निगल रहा जिंदगानी, प्रशासन बना गूंगा बहरा

दिलीप यादव
यूनिक समय, मथुरा। आगरा कैनाल किनारे गोवर्धन इलाके के गांवों में पानी तबाही मचाए हुए है। दर्जन भर गांवों में कैंसर के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसका कारण कैनाल में बहने वाला केमिकलयुक्त बेहद खराब पानी और इलाके में पेस्टीसाइड का बहुतायत में इस्तेमाल बताया जा रहा है। इस इलाके के आधा दर्जन गांवों का दौरा कर जो आंकड़े इकट्ठा किए हैं वह चौंकाने वाले हैं। इन गांवों में बीते दो साल में 75 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।


अडींग गांव में दो साल में कैंसर से मरने वाले करीब 25 से अधिक लोगों की गिनती के बाद शंका उठाई गई कि यह सब कैनाल के पानी का परिणाम है। कैनाल के किनारे बसे आधा दर्जन से अधिक गांवों का दौरा कर ग्रामीणों से सीधे बात की। जो आंकड़े मिले हैं, वह सावधान होने की चेतावनी दे रहे हैं। दो साल की अवधि में कैंसर से मरने वाले लोगों की इन गांवों में संख्या 10 से लेकर दो दर्जन तक है। साथ ही आधा दर्जन से लेकर अधिक मरीज अभी भी इसकी चपेट में हैं। अधिकांश को गले, गर्दन और किडनी में कैंसर है।

जल निगम के निर्माण खंड ने पांच साल पहले इस कैनाल के पानी की जांच की। तब कैनाल के पानी में खतरनाक बैक्टीरिया और कैडियम जैसी भारी धातु होने की पुष्टि हुई। जीएलए यूनिवर्सिटी का बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग अब इस पर काम कर रहा है। आगरा कैनाल ओखला के पास यमुना से निकली है। इसलिए यमुना के पानी का भी सैंपल लिया गया। जांच में माइकोबैक्टीरियम एवियम उप प्रजाति पाराटुबेर्कुलोसिस (एमएपी) पाया गया। यह जीवाणु आंतों में संक्रमण के साथ गंभीर सांस रोग पैदा करता है। शोधार्थी कुंदन चौबे ने बताया कि यह बैक्टीरिया किसी पेस्टीसाइड से नहीं मरता। आण्विक नकल तंत्र से यह जीवाणु मानवों में आटोइम्युन प्रतिक्रिया आरंभ कर सकते हैं। जांच में भारी तत्वों के साथ ही ने भी यमुना के पानी की कई जगह जांच की।इसमें भी कैडिएम और खतरनाक बैक्टीरिया पाए गए। ऐसे में सरकार को इलाके में सर्वे कराने की जरूरत है ताकि इसका संबंध सही से समझा जा सके।

कहां कितने काल के गाल में
अड़ींग                                                  25
माधुरी कुंड                                          17
जचौंदा                                               08
रामनगर                                            10
महमदपुर                                          27
जखनगांव                                         10
10 घरों वाले नगला हरीपुरा में भी कैंसर से पप्पू की मौत कुछ माह पहले हो गई। वह आंत के कैंसर के शिकार बताए गए। यहां की कुल आबादी भी 50 के नीचे है।

 


इलाके में प्रतिबंधित रसायन फोरएट का इस्तेमाल किया जाता है। इसका असर फसल में 90 दिन तक रहता है। ऐसे करीब एक दर्जन के करीब कीटनाशक हैं जो खतरनाक हैं।
बीएल पचौरी, सेवानिवृत्त जिला उद्यान अधिकारी

ऐसी समस्या काली नदी के किनारे बसे गांवों में भी पाई गई। जल्द ही इन गांवों के पीने के पानी के स्त्रोत की जांच कराई जाएगी। कैनाल के पानी की जांच भी कराएं। आंकड़ों की पड़ताल के बाद अगला कदम उठाया जाएगा।

अरविंद कुमार, क्षेत्रीय अधिकारी उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

यमुना के साथ ही कैनाल के पानी में खतरनाक बैक्टीरिया और भारी धातु की बड़ी मात्रा में मौजूदगी मिली है। कैडमीयम 25 पार्ट पर मिलियन पाया गया है। इसकी मात्रा 7-8 पीपीएम से अधिक नहीं होनी चाहिए। कैडमियम कैंसरकारक है। अभी अधिक अध्ययन की जरूरत है।
डॉ. सूर्यवीर सिंह, विभागाध्यक्ष बॉयोटेक्नोलॉजी जीएलए

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